जो दिखता होता नहीं, सोच समझ कर गौर।
खुश होना इक बात है, दिखना है कुछ और।।
पीतल को सोना बना, किया दशक से पेश।
कठपुतली का दोष क्या, भुगत रहा है देश।।
एक हकीकत है अभी, सोचें आप जरूर।
मजदूरों के संघ से, डरते हैं मजदूर।।
शासन, पानी का सदा, होता एक प्रवाह।
जहाँ ठहर जाता वहीं, भ्रष्टाचार अथाह।।
सीख रहे हैं हम सुमन, अक्सर कहते लोग।
पर देखो व्यवहार में, अधिक ज्ञान का रोग।।
खुश होना इक बात है, दिखना है कुछ और।।
पीतल को सोना बना, किया दशक से पेश।
कठपुतली का दोष क्या, भुगत रहा है देश।।
एक हकीकत है अभी, सोचें आप जरूर।
मजदूरों के संघ से, डरते हैं मजदूर।।
शासन, पानी का सदा, होता एक प्रवाह।
जहाँ ठहर जाता वहीं, भ्रष्टाचार अथाह।।
सीख रहे हैं हम सुमन, अक्सर कहते लोग।
पर देखो व्यवहार में, अधिक ज्ञान का रोग।।
10 comments:
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (25-10-2013) को " ऐसे ही रहना तुम (चर्चा -1409)" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
अति सुन्दर..
बहुत अच्छे दोहे
नई पोस्ट मैं
ज्ञानपरक, सामयिक और प्रेरणा देते दोहे..
बहुत अच्छे दोहे..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
सामयिक, सटीक दोहे।
जीवन क्या है,एक वहम है
पीतल पर पानी सोने का.
बात सच है---आनंद बाला
बेहद प्रभावी ......
सर्व श्री / श्रीमती / सुश्री राजेन्द्र कुमार जी रूपचंद, अमृता तन्मय जी, कालीपद प्रसाद जी, प्रवीण पाण्डेय जी, आशा जोगलेकर जी रश्मि शर्मा जी, प्रतिभा वर्मा जी, निवेदिता श्रीवास्तव जी - आप सबकी सराहना और समर्थन प्रेरक है मेरे लिए। राजेन्द्र कुमार जी ने इस पोस्ट को चर्चामंच से जोड़कर इसे और विस्तार दिया है। आप सबके प्रति विनम्र आभार
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