तेरी आँखों में समन्दर का नज़ारा देखा
झुकी पलकों में छुपा उसका किनारा देखा
जहाँ पे प्यार की लहरें मचाये शोर सुमन
उस किनारे पर मैंने जीने का सहारा देखा
दूरियाँ तुमसे नहीं रास कभी आएगी
मिलन की चाह की वो प्यास कभी आएगी
तुम्हारे प्यार के बन्धन में यूँ घिरा है सुमन
लौटकर मौत भी ना पास कभी आएगी
हँसी को ओढ़ के आँखों में भला क्यूँ गम है
लरजते देखा नहीं पर वहाँ पे शबनम है
तेरे कदमों के नीचे रोज बिछा दूँ मैं सुमन
गीत जो भी हैं मेरे पर तुम्हारा सरगम है
तुम्हारी आँखों में देखा तो मेरी सूरत है
ऐसा महसूस किया प्यार का महूरत है
बिखर ना जाए सुमन को जरा बचा लेना
तू मेरी जिन्दगी है और तू जरूरत है
झुकी पलकों में छुपा उसका किनारा देखा
जहाँ पे प्यार की लहरें मचाये शोर सुमन
उस किनारे पर मैंने जीने का सहारा देखा
दूरियाँ तुमसे नहीं रास कभी आएगी
मिलन की चाह की वो प्यास कभी आएगी
तुम्हारे प्यार के बन्धन में यूँ घिरा है सुमन
लौटकर मौत भी ना पास कभी आएगी
हँसी को ओढ़ के आँखों में भला क्यूँ गम है
लरजते देखा नहीं पर वहाँ पे शबनम है
तेरे कदमों के नीचे रोज बिछा दूँ मैं सुमन
गीत जो भी हैं मेरे पर तुम्हारा सरगम है
तुम्हारी आँखों में देखा तो मेरी सूरत है
ऐसा महसूस किया प्यार का महूरत है
बिखर ना जाए सुमन को जरा बचा लेना
तू मेरी जिन्दगी है और तू जरूरत है
4 comments:
बहुत खुबसूरत मुक्तक !
उम्मीदों की डोली !
सुंदर ।
बहुत सुन्दर दिल से लिखी रचना।
बहुत उम्दा प्रस्तुति
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