बेटे की शादी हुई, हृदय जगा इक आस।
सास बहू बनती गयी, आज बहू ही सास।।
पुत्र बसा ससुराल में, हुआ बहुत अवसाद।
खुशी हुई जब आ बसा, अपने घर दामाद।।
नेता या अफसर बड़े, प्रश्न आज का मूल।
दोनों ही चालाक हैं, जनता फाँके धूल।।
घर बाहर दोनों जगह, देख अभी क्या हाल।
बाहर जो बेहाल हैं, घर में भी बेहाल।।
मिश्री मुँह में घोलकर, वचन सदा तू बोल।
धन दौलत बेकार है, व्यवहारों का मोल।।
जीवन जी भर जी सके, सबका है संसार।
सुमन सिसकते लोग का, छीनो मत अधिकार।।
सास बहू बनती गयी, आज बहू ही सास।।
पुत्र बसा ससुराल में, हुआ बहुत अवसाद।
खुशी हुई जब आ बसा, अपने घर दामाद।।
नेता या अफसर बड़े, प्रश्न आज का मूल।
दोनों ही चालाक हैं, जनता फाँके धूल।।
घर बाहर दोनों जगह, देख अभी क्या हाल।
बाहर जो बेहाल हैं, घर में भी बेहाल।।
मिश्री मुँह में घोलकर, वचन सदा तू बोल।
धन दौलत बेकार है, व्यवहारों का मोल।।
जीवन जी भर जी सके, सबका है संसार।
सुमन सिसकते लोग का, छीनो मत अधिकार।।
1 comment:
वाह क्या बात है.
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