Thursday, July 10, 2014

बात प्रणय की आंखों से

मौसम   को  बर्बाद  न  कर
बाँहों   से   आजाद  न  कर

कितने कम पल खुशियों के 
जी  ले  पर  अवसाद न कर

किसने  समझा  जीवन  को
नित  चिन्ता आ बाद न कर

बुरे   दिनों   से   सीखो  पर
गम  को  हरदम याद न कर

बात  प्रणय  की आँखों  से
होठों  से  सम्वाद   न   कर

प्रेम   सही  तो   ईश   मिले 
उनसे भी  फरियाद  न  कर

भाव   सुमन   के   हैं   कैसे
सब  रचना  पे  दाद  न  कर

6 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना शनिवार 12 जुलाई 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (12-07-2014) को "चल सन्यासी....संसद में" (चर्चा मंच-1672) पर भी होगी।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Rewa Tibrewal said...

waah !

कौशल लाल said...

बहुत सुन्दर .....

Pratibha Verma said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

विभूति" said...

प्यार की खुबसूरत अभिवयक्ति....

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!