अपने घर की बात ना पूछ
बदल गए हालात ना पूछ
पाला पोसा जिसे पढ़ाया
वो मारे हैं लात ना पूछ
टूटन आयी परिवारों में
अपनों से प्रतिघात ना पूछ
भाव-जगत और सावन सूखा
आँखों में बरसात ना पूछ
जो यादों में, उनसे दूरी
जलते हैं जज्बात ना पूछ
धर्म-गुरू लड़ते आपस में
दिल में तब आघात ना पूछ
भले सुमन मुस्कान ओढ़ ले
मगर सिसकती रात ना पूछ
बदल गए हालात ना पूछ
पाला पोसा जिसे पढ़ाया
वो मारे हैं लात ना पूछ
टूटन आयी परिवारों में
अपनों से प्रतिघात ना पूछ
भाव-जगत और सावन सूखा
आँखों में बरसात ना पूछ
जो यादों में, उनसे दूरी
जलते हैं जज्बात ना पूछ
धर्म-गुरू लड़ते आपस में
दिल में तब आघात ना पूछ
भले सुमन मुस्कान ओढ़ ले
मगर सिसकती रात ना पूछ
4 comments:
वाह बहुत खूब.....
वाह बहुत खूब.....
बहुत सुन्दर |
नई रचना मेरा जन्म !
जो यादों में, उनसे दूरी
जलते हैं जज्बात ना पूछ|
(पीड़ा होती जब काँटा चुबता तन में |
दूसरा काटा चुबे तो सुख देता मन में
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