Tuesday, January 27, 2015

मैं कारण भी समाधान मैं

जब जब मैंने गीत लिखा
शब्द - भाव से प्रीत लिखा
उम्र सुमन की गुजर रही
नहीं मिला, मनमीत लिखा

सब मिहनत से बेदम है
आँखों में फिर भी गम है
होता जनहित खेल यहाँ
कौन अभी किससे कम है

मन मन्दिर का आँगन तू
दिल मेरा है, धड़कन तू
उलझन छोड़ो, मत बनना
मिरे प्यार में अड़चन तू

कभी मूर्खता कभी ज्ञान मैं
कभी खुशी भी, परेशान मैं
मुझसे ही दुनिया है कायम
मैं कारण भी समाधान मैं 

2 comments:

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 29-01-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1873 में दिया जाएगा
धन्यवाद

GUDDO9@GMAIL.COM said...

मन मन्दिर का आँगन तू
दिल मेरा है, धड़कन त
(मीरा के प्रभु गिरधर नागर )

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