रस्ते में कभी प्यार के आया न कीजिए
हो जाए प्यार, वक्त को जाया न कीजिए
मज़हब से नहीं प्यार का होता है वास्ता
ऐसा मिलन हुआ तो सताया न कीजिए
कुर्बानियों से प्यार का होता शुरू सफर
प्रेमी को इस तरह से डराया न कीजिए
मेहदी नहीं थी सूखी क्यों प्यार थम गया
चाहत को इस तरह से दबाया न कीजिए
है जिन्दगी से जिन्दगी की जिन्दगी सुमन
फिर खाक में जीवन को मिलाया न कीजिए
1 comment:
बहुत अच्छा !
गोस्वामी तुलसीदास
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