Monday, September 14, 2015

हिन्दी हो धनवान मुसाफिर

भाषा  ही  पहचान  मुसाफिर
यही  देश की जान मुसाफिर
चलो बढ़ायें हम सब मिल के
हिन्दी, हिन्दुस्तान  मुसाफिर

           जब  हिन्दी में बात मुसाफिर
           तब जगते जज्बात मुसाफिर
           जोड़  सके  उत्तर  से दक्षिण
           हिन्दी  में औकात  मुसाफिर

निज - भाषा संचार मुसाफिर
फिर बढ़ता है प्यार मुसाफिर
एक  सूत्र  में   जोड़े  सब  को
हिन्दी को अधिकार मुसाफिर

            जब घर घर सम्वाद मुसाफिर
            तब  हिन्दी आबाद  मुसाफिर
            बता  राष्ट्र-भाषा  क्या  अपनी
            जब से हम आजाद मुसाफिर

हर  भाषा अनमोल मुसाफिर
बोली  अपनी  बोल मुसाफिर
मगर  राष्ट्र-भाषा  निश्चित  हो
इसका भी तो मोल मुसाफिर

            देशभक्त को फूल मुसाफिर
            राष्ट्र - एकता  मूल मुसाफिर
            मगर   राष्ट्र-भाषा   निर्धारित
            नहीं  हुई  ये  भूल  मुसाफिर

हिन्दी  हो  धनवान   मुसाफिर
शब्द - शब्द उन्वान मुसाफिर
भारत  के  घर - घर  में हिन्दी
यही सुमन अरमान मुसाफिर                                     

No comments:

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!