जिसका जितना शोर मुसाफिर
उतना वो कमजोर मुसाफिर
मुमकिन खुद से अगर निकालो
अपने मन का चोर मुसाफिर
सबकी अपनी रीत मुसाफिर
अपने अपने गीत मुसाफिर
मगर मूल स्वर एक सभी के
मानवता से प्रीत मुसाफिर
हृदय प्रेम रस धार मुसाफिर
जीवन का संचार मुसाफिर
करने वाले करते रहते
पत्थर से भी प्यार मुसाफिर
तेरी क्या औकात मुसाफिर
तू केवल जज्बात मुसाफिर
जिसकी दिशा दशा पे अंकुश
बदलेंगे हालात मुसाफिर
तेरे सर पे ताज मुसाफिर
आती जन को लाज मुसाफिर
क्योंकि जग के हर कोने में
बिखरा हुआ समाज मुसाफिर
चलो शहर से गाँव मुसाफिर
बैठें पीपल छाँव मुसाफिर
आपस में मिलने जुलने की
कहाँ शहर में ठाँव मुसाफिर
बढ़े चलो दिन रैन मुसाफिर
मत होना बेचैन मुसाफिर
हार, जीत से सीख, मिले तब
चमक सुमन के नैन मुसाफिर
उतना वो कमजोर मुसाफिर
मुमकिन खुद से अगर निकालो
अपने मन का चोर मुसाफिर
सबकी अपनी रीत मुसाफिर
अपने अपने गीत मुसाफिर
मगर मूल स्वर एक सभी के
मानवता से प्रीत मुसाफिर
हृदय प्रेम रस धार मुसाफिर
जीवन का संचार मुसाफिर
करने वाले करते रहते
पत्थर से भी प्यार मुसाफिर
तेरी क्या औकात मुसाफिर
तू केवल जज्बात मुसाफिर
जिसकी दिशा दशा पे अंकुश
बदलेंगे हालात मुसाफिर
तेरे सर पे ताज मुसाफिर
आती जन को लाज मुसाफिर
क्योंकि जग के हर कोने में
बिखरा हुआ समाज मुसाफिर
चलो शहर से गाँव मुसाफिर
बैठें पीपल छाँव मुसाफिर
आपस में मिलने जुलने की
कहाँ शहर में ठाँव मुसाफिर
बढ़े चलो दिन रैन मुसाफिर
मत होना बेचैन मुसाफिर
हार, जीत से सीख, मिले तब
चमक सुमन के नैन मुसाफिर
5 comments:
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11.09.2015) को "सिर्फ कथनी ही नही, करनी भी "(चर्चा अंक-2095) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, परमवीरों को समर्पित १० सितंबर - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
हम सब हैं मुसाफिर....बहुत अच्छा लिखा।
Beautiful
गाँव अब वे गाँव नहीं रहे सोच कर जाना मुसाफ़िर !
Post a Comment