खुद का बन्धन तोड़ मुसाफिर
खुद को खुद से जोड़ मुसाफिर
चतुराई से कदम उठाकर
पार करो हर मोड़ मुसाफिर
कभी कभी आघात मुसाफिर
पर जीवन सौगात मुसाफिर
फिर भी लोगों की आँखों में
होती क्यों बरसात मुसाफिर
अलग सभी की प्यास मुसाफिर
खुद पर हो विश्वास
मुसाफिर
उस कोमल अनुभव की सोचो
मिलते जब दो खास मुसाफिर
रोज मनाओ हर्ष मुसाफिर
पर जीवन संघर्ष मुसाफिर
खुशबू जहाँ पसीने की हो
मिलता है उत्कर्ष मुसाफिर
जितना तेरा काम मुसाफिर
उतना तेरा
दाम मुसाफिर
जो भी पाते काम से ज्यादा
हो जाते बदनाम मुसाफिर
इधर उधर मत डोल मुसाफ़िर
बोलो दिल को खोल मुसाफिर
वक्त से जितना जो टकराते
वो उतने अनमोल मुसाफिर
जिसने समझा खेल मुसाफिर
गया बेचने तेल मुसाफिर
ये जीवन है सुमन खजाना
आपस में रख मेल मुसाफिर
Wednesday, September 9, 2015
खुद को खुद से जोड़ मुसाफिर
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