हकीकत को दिखाने की शराफत आईना करता
किसी से प्यार होने पर शरारत आईना करता
नहीं कुछ याद रह पाता निहारे खुद को प्रेमी तो
दिखे प्रीतम की सूरत बस बगावत आईना करता
छुपाती क्रोध को दिल में तू सचमुच दामिनी लगती
किसी कारण से रूठी तो कसम से भामिनि लगती
मजा आता मशक्कत से अगर तुझको मना लूँ तो
जरा सा मुस्कुराओ तो यकीनन कामिनी लगती
मेरी चाहत कि सुर्खी में तेरा भी नाम आ जाए
सफल जीवन तभी होता किसी के काम आ जाए
चलो जी भर के जी लें हम हटाकर बंदिशें सारी
पता क्या कब कहाँ पे जिन्दगी की शाम आ जाए
मुहब्बत के बदौलत ही जहां आबाद रह पाता
परिन्दा पर मुहब्बत का कहां आजाद रह पाता
तुम्हारे प्यार में खोकर मिटाया खुद को यूँ मैंने
नहीं कुछ भूल पाता हूँ नहीं कुछ याद रह पाता
किसी से प्यार होने पर शरारत आईना करता
नहीं कुछ याद रह पाता निहारे खुद को प्रेमी तो
दिखे प्रीतम की सूरत बस बगावत आईना करता
छुपाती क्रोध को दिल में तू सचमुच दामिनी लगती
किसी कारण से रूठी तो कसम से भामिनि लगती
मजा आता मशक्कत से अगर तुझको मना लूँ तो
जरा सा मुस्कुराओ तो यकीनन कामिनी लगती
मेरी चाहत कि सुर्खी में तेरा भी नाम आ जाए
सफल जीवन तभी होता किसी के काम आ जाए
चलो जी भर के जी लें हम हटाकर बंदिशें सारी
पता क्या कब कहाँ पे जिन्दगी की शाम आ जाए
मुहब्बत के बदौलत ही जहां आबाद रह पाता
परिन्दा पर मुहब्बत का कहां आजाद रह पाता
तुम्हारे प्यार में खोकर मिटाया खुद को यूँ मैंने
नहीं कुछ भूल पाता हूँ नहीं कुछ याद रह पाता
1 comment:
सुन्दर ..... मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन की प्रतीक्षा |
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