Saturday, March 12, 2016

मानवता का आईना

सबसे पहले देश है, फिर है गाँव समाज।
देशभक्ति सिखला रहे, द्रोही बनकर आज।।

कहने को करते सभी, संविधान का मान।
देशभक्त फिर क्यों भला, तोडे रोज विधान।।

सत्ता और विपक्ष का, इक दूजे पे कोप।
रोज परस्पर थोपते, साजिश का आरोप।।

सबके अपने तर्क हैं, देशभक्ति की आह।
मगर हकीकत है यही, आमलोग गुमराह।।

मानवता का आईना, देखो. करो विचार।
सुमन बचेगा देश तब, हो कोई सरकार।।

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