इक मुझपे उपकार करो
दुश्मन सा व्यवहार करो
दुनिया समझे अलग हुए
पर चुपके से प्यार करो
प्यार समझ के हर्ष हुआ
पाने को संघर्ष हुआ
नहीँ मिला तो कोशिश कर
प्यार मिला उत्कर्ष हुआ
हरदम तुझको याद करूँ
खुशियों को आबाद करूं
तुम मूरत बन पत्थर की
तुमसे नित फरियाद करूं
ऊबड-खाबड, समतल है
सोना चाहे पीतल है
सुमन प्यार में जीते जो
उसकी दुनिया शीतल है
दुश्मन सा व्यवहार करो
दुनिया समझे अलग हुए
पर चुपके से प्यार करो
प्यार समझ के हर्ष हुआ
पाने को संघर्ष हुआ
नहीँ मिला तो कोशिश कर
प्यार मिला उत्कर्ष हुआ
हरदम तुझको याद करूँ
खुशियों को आबाद करूं
तुम मूरत बन पत्थर की
तुमसे नित फरियाद करूं
ऊबड-खाबड, समतल है
सोना चाहे पीतल है
सुमन प्यार में जीते जो
उसकी दुनिया शीतल है
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