शब्दों से जिसने किया, खुशी खुशी स्वीकार।
क्यों उससे मिलता अभी, आधा आधा प्यार।।
रीता क्यों उस रीत में, प्रीत रीत विपरीत।
मीत जीत लो प्रीत से, तब जीवन संगीत।।
चाहत एक सलाह की, मिल जाते भरमार।
नहीं समझते प्रेम जो, वही सिखाते प्यार।।
प्यारा सा मौसम अभी, मादक मन्द बयार।
साजन सजनी में शुरू, आपस का मनुहार।।
हरियाली चहुँ ओर है, फूलों में मुस्कान।
मीठी कोयल तान में, छिपा विरह का गान।।
नही समझते प्रेम जो, बांट रहे नित प्यार।
ऊपर से सोना दिखे, सच में पीतल यार।।
कांटों से हो जख्म तो, दिल में नहीं कचोट।
घायल तब ज्यादा अगर, लगे सुमन से चोट।।
क्यों उससे मिलता अभी, आधा आधा प्यार।।
रीता क्यों उस रीत में, प्रीत रीत विपरीत।
मीत जीत लो प्रीत से, तब जीवन संगीत।।
चाहत एक सलाह की, मिल जाते भरमार।
नहीं समझते प्रेम जो, वही सिखाते प्यार।।
प्यारा सा मौसम अभी, मादक मन्द बयार।
साजन सजनी में शुरू, आपस का मनुहार।।
हरियाली चहुँ ओर है, फूलों में मुस्कान।
मीठी कोयल तान में, छिपा विरह का गान।।
नही समझते प्रेम जो, बांट रहे नित प्यार।
ऊपर से सोना दिखे, सच में पीतल यार।।
कांटों से हो जख्म तो, दिल में नहीं कचोट।
घायल तब ज्यादा अगर, लगे सुमन से चोट।।
1 comment:
बहुत ही बढ़िया अत्ती उत्तम शेयर करने के लिए धन्यवाद
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