अच्छे दिन की तैयारी है
या रोने की फिर बारी है
क्यों दशकों से छले गए हम
नादानी या लाचारी है
वादे बदले, शासक बदला
जनता अबतक बेचारी है
कौन धरम है ऊंचा, नीचा
इस पर भी मारामारी है
मानवता बस विज्ञापन में
यह आयोजन सरकारी है
दहशतगर्दी बढती जाती
कारण घर घर बेकारी है
लूटा जिसने देश अभीतक
नेता, मंत्री, अधिकारी हैं
इसे कहें क्यों सहनशीलता
सच पूछो तो बीमारी है
अब तो जागो देशवासियों
सुमन व्यवस्था हत्यारी है
या रोने की फिर बारी है
क्यों दशकों से छले गए हम
नादानी या लाचारी है
वादे बदले, शासक बदला
जनता अबतक बेचारी है
कौन धरम है ऊंचा, नीचा
इस पर भी मारामारी है
मानवता बस विज्ञापन में
यह आयोजन सरकारी है
दहशतगर्दी बढती जाती
कारण घर घर बेकारी है
लूटा जिसने देश अभीतक
नेता, मंत्री, अधिकारी हैं
इसे कहें क्यों सहनशीलता
सच पूछो तो बीमारी है
अब तो जागो देशवासियों
सुमन व्यवस्था हत्यारी है
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