अपना अपना सब करे, अगर देश में काम।
असल यही कर्तव्य है, देशभक्ति के नाम।।
जो संसद में हो रहा, हुआ देखकर क्लेश।
नैतिकता से दूर जो, देते नित उपदेश।।
केवल जयकारा नहीं, कर्तव्यों पर जोर।
देशभक्ति के नाम पर, व्यर्थ मचाना शोर।।
संसद जनता के लिए, नेता से बर्बाद।
जनहित पे होता कहाँ, आपस में सम्वाद।।
दुहरेपन के हम सभी, होते सुमन शिकार।
देशभक्ति, जनहित सदा, कब सोचोगे यार।।
असल यही कर्तव्य है, देशभक्ति के नाम।।
जो संसद में हो रहा, हुआ देखकर क्लेश।
नैतिकता से दूर जो, देते नित उपदेश।।
केवल जयकारा नहीं, कर्तव्यों पर जोर।
देशभक्ति के नाम पर, व्यर्थ मचाना शोर।।
संसद जनता के लिए, नेता से बर्बाद।
जनहित पे होता कहाँ, आपस में सम्वाद।।
दुहरेपन के हम सभी, होते सुमन शिकार।
देशभक्ति, जनहित सदा, कब सोचोगे यार।।
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