Sunday, April 30, 2017

कमरे में बरसात

होठों पे मुस्कान पर, दिल से है बेचैन।
कंत विरह की वेदना, स्वतः बरसते नैन।।

जंगल के भी जीव में, जगी प्यार की प्यास।
फागुन में किसको नहीँ, पिया मिलन की आस।।

सारे प्रेमी के लिए, है वसंत सौगात।
बातें होतीं आँख से, कमरे में बरसात।।

लता लिपटती पेड से, बिना किये परवाह।
साजन सजनी के हृदय, फागुन में यह चाह।।

होली है जब सामने, जी ले तू भरपूर।
कविता लिखना छोडकर, देख सुमन का नूर।।

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