घर दिखते, घरवाले कितने?
दरवाजे पर ताले कितने?
छत लाखों के आज आसमां,
सजते रोज शिवाले कितने?
पूछो जा कर जो गरीब हैं,
खाते रोज निवाले कितने?
रात छोड़, दिन में अँधियारा,
शासक कहे उजाले कितने?
हक बेबस को कब मिलता है?
फिर भी सपने पाले कितने?
कई लोग अपने बन आते,
मिलते हैं दिलवाले कितने?
उठते जीवन में, कुछ गिरते,
सचमुच सुमन सम्भाले कितने?
दरवाजे पर ताले कितने?
छत लाखों के आज आसमां,
सजते रोज शिवाले कितने?
पूछो जा कर जो गरीब हैं,
खाते रोज निवाले कितने?
रात छोड़, दिन में अँधियारा,
शासक कहे उजाले कितने?
हक बेबस को कब मिलता है?
फिर भी सपने पाले कितने?
कई लोग अपने बन आते,
मिलते हैं दिलवाले कितने?
उठते जीवन में, कुछ गिरते,
सचमुच सुमन सम्भाले कितने?
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