दिन भर का संघर्ष,
उससे प्राप्त
कुछ उत्कर्ष, कुछ अपकर्ष,
जिससे निकलता हूँ
कुछ ना कुछ निष्कर्ष।
वही संघर्ष रात में
गहरी नींद सुलाता है,
फिर सबेरे, हर दिन,
मुस्कान के साथ जगाता है,
और उस निष्कर्ष को,
सबके सामने लिखने को,
खूब जी कुलबुलाता है।
कुछ लिखने पर
दिन भर होती है परिचर्चा,
सच कहता हूँ दोस्तों,
यही है सुमन की दिनचर्या।
उससे प्राप्त
कुछ उत्कर्ष, कुछ अपकर्ष,
जिससे निकलता हूँ
कुछ ना कुछ निष्कर्ष।
वही संघर्ष रात में
गहरी नींद सुलाता है,
फिर सबेरे, हर दिन,
मुस्कान के साथ जगाता है,
और उस निष्कर्ष को,
सबके सामने लिखने को,
खूब जी कुलबुलाता है।
कुछ लिखने पर
दिन भर होती है परिचर्चा,
सच कहता हूँ दोस्तों,
यही है सुमन की दिनचर्या।
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