Friday, April 5, 2019

तुम्हारी आँखों में

सारी दुनिया सिमट गयी है आज तुम्हारी आँखों में
मेरी हर खुशियों का लगता राज तुम्हारी आँखों में
मेरी लेखनी की ताकत हो गीत गजल कह पाता हूँ
उसके हर संगीत का सारा साज तुम्हारी आँखों में

डरता था पहले जब देखा ओज तुम्हारी आँखों में
अब तो मैं विचरण करता हूँ रोज तुम्हारी आँखों में
बिन तेरे खोया सा दिन है खोयी सी लगती रातें
खुद से मैं करता हूँ खुद की खोज तुम्हारी आँखों में

अक्सर देखा एक सुनहरी शाम तुम्हारी आँखों में
और देखा कि सँग राधा के श्याम तुम्हारी आँखों में
अगर अकेलापन आया तो खोया तेरी यादों में
सदा यही महसूस किया कि जाम तुम्हारी आँखों में

देखा है मस्ती के पल में तीर तुम्हारी आँखों में
विपदा की घड़ियों में देखा धीर तुम्हारी आँखों में
सबकुछ सुमन देख सकता पर तू यकीन कर ले यारा
नहीं देखना मुमकिन मुझसे नीर तुम्हारी आँखों में

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