Monday, April 22, 2019

लोकतंत्र भी भिन्न हुआ

बहस  सुना  टीवी  पर  मनुवा खिन्न हुआ 
पहले  से  अब  लोकतंत्र  भी  भिन्न हुआ 

जो   जो   भ्रष्टाचार   मिटाने   को   आए 
भ्रष्टाचारी   उनका   मित्र   अभिन्न  हुआ 

सपन - सुनहरे  दिखा जो  आए  सत्ता में 
अक्सर साबित खतरनाक वो जिन्न हुआ 

मिलती जीत हमेशा धनबल, भुजबल से
गुणवानों  को  इस  चुनाव  से घिन्न हुआ 

सामाजिक  समरसता  दौलत  है अपनी 
लगता सुमन अभी तो वो भी छिन्न हुआ 

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