Monday, April 22, 2019

कद्दू और चाकू का रिश्ता

नये नये परिधान पहनकर वो मुस्काते टी वी में 
जनता भूखी पर शहनाई रोज सुनाते टी वी में

समाचार देखूँ तो आफत, ना देखूँ तो आफत है
बार बार क्यों एक ही चेहरा वो दिखलाते टी वी में

जिस रोटी से जीवन चलता उस रोटी की किल्लत है
खाना पौष्टिक कैसे बनता कला सिखाते टी वी में

हो सकता है सब कुछ मुमकिन खास आदमी आए तो
रोज रोज क्यों इसी बात को वे दुहराते टी वी में

कद्दू और चाकू का रिश्ता हरदम घाटा कद्दू को
सभी सुमन समझे ना ये सच नित बहकाते टी वी में 

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