Thursday, October 10, 2019

बदल रहा व्यवहार हमारा

जिनसे होता प्यार हमारा
उनसे ही तकरार हमारा

अपने अपने ढंग से हमने
बसा लिया संसार हमारा

पद, पैसा, प्रभुता के आगे
बदल रहा व्यवहार हमारा

अक्सर कहते जो अपने थे
भूल गया उपकार हमारा

धोखाधड़ी अगर रिश्तों में
जीना है दुशवार हमारा

कठिनाई सिखलाती हमको
जो जीवन आधार हमारा

लड़ते रहो सुमन हालत से
समझो क्या अधिकार हमारा 

1 comment:

Rohitas Ghorela said...

संदेशप्रद रचना।
बहुत खूब।

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