Thursday, September 17, 2020

तुम समझो या न समझो

ये दुनिया  हम  सबकी भाई, तुम समझो या न समझो
राम सभी  के कृष्ण कन्हाई, तुम समझो या न समझो

लहु  हमारा  एक  रंग  का, इक समान  ही दिखते हम
फिर क्यों आपस में रुसवाई, तुम समझो या न समझो

समझ  नहीं  जागीर  ये  दुनिया, आते - जाते  रहते हम
निज - कर्मों  की  शेष कमाई, तुम समझो या न समझो

गद्दी   तुमको   उन्होंने  दी   है,  जो  गुरबत  में  जीते  हैं
राजा  साबित  हवा  हवाई, तुम  समझो  या  न  समझो

है  गवाह  इतिहास  हमारा, आम लोग  जग  जाते  जब
कितनों  को  औकात  दिखाई, तुम समझो या न समझो

वक्त  से  पहले  चलो  संभल के, या  पछताओ आगे भी
जाग  उठी  सचमुच  तरुणाई, तुम  समझो  या न समझो

अलख जगाना काम कलम का, लाखों सुमन कलम थामे 
फिर  मत  कहना  आग  लगाई, तुम समझो  या न समझो

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