कोरोना से डरा रहे हो
भीड़ मगर तुम बढ़ा रहे हो!
अजब घोषणा तेरी साहिब
फ्री वैक्सीन भी दिला रहे हो!
वेतन खातिर नहीं रुपैया
राग-नौकरी सुना रहे हो!
पाक और कश्मीरी बाजा
क्यों बिहार में बजा रहे हो?
तेरे वादे परख लिए सब
क्यों बच्चों सा पढ़ा रहे हो
तुम कुबेर के पोषक बनकर
जनता का धन लुटा रहे हो
अस्त हो रहा शासन फिर क्या
बोरा-बिस्तर उठा रहे हो?
परिवर्तन की लहर चली है
तुम तो सब कुछ गंवा रहे हो।
सुमन एक सा हर मानव है
क्यों आपस में लड़ा रहे हो?
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