नहीं इधर तू नहीं उधर जा
हर बाधा के पार उतर जा
प्रति पल है संघर्ष जिन्दगी
लड़ने खातिर जरा संवर जा
मूरख लड़ते हथियारों से
हल उसका बातों से कर जा
किस में नहीं बुराई होती?
थोड़ा थोड़ा रोज सुधर जा
नेक सोच की दाँतों से नित
उलझन के पर सभी कुतर जा
दे जातीं हैं सीख चीटियाँ
इधर उधर तू नहीं बिखर जा
खुशबू और विचार एक है
साथ सुमन के सदा पसर जा
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