मजे में कौवा हँस विकल है
यही सियासत आज सफल है
साथ बैठते शेर हिरण अब
शासन की ये नयी पहल है
गिद्ध बने जो उनको नोचे
जो बेबस निर्धन - निर्बल है
बिखर रहीं टोली चींटी की
यही सियासी चाल असल है
साँप नेवले गले मिले जब
नियम कौन जो बचा अटल है
वैचारिक पिंजड़े में तोता
बस मालिक का करे नकल है
सुमन मोर बिनु मौसम नाचे
जीवन में फिर उथल-पुथल है
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