Saturday, December 12, 2020

वैचारिक पिंजड़े में तोता

मजे  में  कौवा  हँस  विकल है
यही सियासत आज सफल है

साथ   बैठते   शेर  हिरण अब
शासन  की  ये  नयी  पहल  है

गिद्ध   बने  जो   उनको  नोचे 
जो  बेबस  निर्धन - निर्बल  है

बिखर  रहीं  टोली  चींटी  की  
यही  सियासी  चाल असल है

साँप  नेवले   गले   मिले  जब
नियम कौन जो बचा अटल है

वैचारिक    पिंजड़े   में   तोता
बस मालिक का करे नकल है

सुमन  मोर  बिनु मौसम  नाचे
जीवन में फिर उथल-पुथल है

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