हम प्यार के सुमन खिला देंगे, कोई भी अदावत से पहले।
जुल्मों की आग बुझा देंगे, जुल्मों की रवायत से पहले।।
तुम लाख करो चतुराई, समझे सब तेरी ढिठाई।
जुल्मों के महल गिरेंगे, अब जाग उठी तरुणाई।
बचना तो प्यारे चेत जरा, जनता की हिमाकत से पहले।
जुल्मों की आग -----
नहीं बिल्कुल बुरा जमाना, सबको इस जद में आना।
कल की खातिर हम सबको, बेहतर परिवेश बनाना।
तुम नेक बनो और एक बनो, आगे की आफत से पहले।
जुल्मों की आग -----
बातों से लगा चितेरा है, जिसने लाया अँधेरा है।
पर ज्ञान का दीप जला करके, लाना फिर नया सबेरा है।
बाँटे हम सदा मुहब्बत ही, नफरत की सियासत से पहले।
जुल्मों की आग -----
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