हम करते रहे सवाल, नहीं कुछ असर हुआ।
अब बहुजन हैं बेहाल, नहीं कुछ असर हुआ।।
घायल है जीवन देखो, बेबस घर-आँगन देखो।
सन्नाटा है मरघट सा, संकट में यौवन देखो।
लगता जीवन जंजाल, नहीं कुछ असर हुआ।
हम करते रहे सवाल -----
झूठों के ओढ़ लबादे, बस करते मीठे वादे।
जिसको फैलाते उनके, वो पोसे - पाले प्यादे।
पूछो सच तभी बवाल, नहीं कुछ असर हुआ।
हम करते रहे सवाल -----
बाँटा जिसने बस भाषण, न जाने करना शासन?
रोटी - पानी का टोटा, ये कहते कर योगासन।
नित चले सियासी चाल, नहीं कुछ असर हुआ।
हम करते रहे सवाल -----
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