क्या सुन्दर सरकार चले है
साँसों का व्यापार चले है
लाशों को अपने ऊपर ले
गंगा की जल-धार चले है
अस्पताल से श्मशानों तक
लम्बी रोज कतार चले है
झगड़े जारी केन्द्र, राज्य में
राजनीति बीमार चले है
कर्तव्यों का बोध नहीं पर
ले करके अधिकार चले है
पोल खोल तो जेल मिलेगी
डर का कारोबार चले है
सुमन आंकड़ा मर के बन जा
मौत तेज रफ्तार चले है
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