Saturday, May 29, 2021

जिस घर का स्वामी मद में हो!

गुरुदेव मधुकर जी का एक वाक्य,
आज मेरे जेहन में बार बार आता है,
कि जिस घर का स्वामी मद में हो,
घर भर का नाश कराता है।

उदाहरण से समझाया कि
मेघनाद साधु -सा, तपसी था,
बलशाली और बलिदानी था,
धर्म पालन की तरह सदा,
पिता की आज्ञा का पालन करनेवाला,
तेजस्वी वीर जो कभी किसी से नहीं डरा,
लेकिन सच है कि इतने गुणों के बाद भी,
मेघनाद, रावण से पहले मरा।
राजा के कर्मों का दण्ड,
आमलोगों को अक्सर मिल जाता है।
कि जिस घर का स्वामी मद में हो,
घर भर का नाश कराता है।

महाभारत काल में भी यही तो हुआ,
पुत्र मोह में फंसा धृतराष्ट्र,
प्रजाहित से खुद को दूर करके,
पूरी तरह से अंधा बना गया,
यही हस्तिनापुर के पतन में,
गले का फंदा बन गया।
आत्ममुग्धता, अहंकार और मूर्खता से,
राजाओं के अधोपतन की कहानी,
धर्म शास्त्र हमें बार बार सिखाता है।
कि जिस घर का स्वामी मद में हो,
घर भर का नाश कराता है।

सदियों से लोगों को, सभ्यताओं को,
जीवन देने वाली गंगा रो रही है,
जिन लोगों को गंगा ने जीवन दिया,
आज उसी की लाशें ढो रही है।
शासन बेखौफ है, सत्ता बहरी है,
यह किस चौपट राजा की अन्धेर नगरी है?
उस राजा से बस इतना कहना है कि
इतिहास से सीखो, 
मत साबित करो कि इतिहास गलत है,
क्योंकि इतिहास अपने आप को,
हमेशा ही दुहराता है।
कि जिस घर का स्वामी मद में हो,
घर भर का नाश कराता है।।

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