Saturday, April 6, 2024

दलदल में सारे दलबदलू

शासन का हर अंग सामने 
इधर  चुनावी जंग सामने

दलदल में  सारे दलबदलू 
दिखा   रहे  हैं  रंग सामने 

अपने पहले दल की निन्दा 
अजब सियासी ढंग सामने 

जनसेवा में लोग सियासी
क्यों जनता अधनंग सामने

अब गारन्टी क्या वादों की
सबके  सब   बेरंग   सामने 

खुद  को नेक बता दूजे पर
करते    रहते   व्यंग सामने 

क्यों जन-जन में है चुप्पी ये
देख  सुमन   है  दंग सामने 
सादर 
श्यामल सुमन

No comments:

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
रचना में विस्तार
साहित्यिक  बाजार  में, अलग  अलग  हैं संत। जिनको  आता  कुछ  नहीं, बनते अभी महंत।। साहित्यिक   मैदान   म...
अन्ध-भक्ति है रोग
छुआछूत  से  कब  हुआ, देश अपन ये मुक्त?  जाति - भेद  पहले  बहुत, अब  VIP  युक्त।। धर्म  सदा  कर्तव्य  ह...
गन्दा फिर तालाब
क्या  लेखन  व्यापार  है, भला  रहे  क्यों चीख? रोग  छपासी  इस  कदर, गिरकर  माँगे  भीख।। झट  से  झु...
मगर बेचना मत खुद्दारी
यूँ तो सबको है दुश्वारी एक तरफ  मगर बेचना मत खुद्दारी एक तरफ  जाति - धरम में बाँट रहे जो लोगों को  वो करते सचमुच गद्दारी एक तरफ  अक्सर लो...
लेकिन बात कहाँ कम करते
मैं - मैं पहले अब हम करते  लेकिन बात कहाँ कम करते  गंगा - गंगा पहले अब तो  गंगा, यमुना, जमजम करते  विफल परीक्षा या दुर्घटना किसने देखा वो...
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!