Saturday, April 6, 2024

जमाना बदल रहा

अब कहता ये अखबार, जमाना बदल रहा।
पर गली - गली बटमार, जमाना बदल रहा।।

सत्ता की खास सनक है, खबरों की वही चमक हैं। 
अनगिन भूखे - नंगों की, जनता को नहीं भनक है।
है  मस्त अभी सरकार, जमाना बदल रहा।
पर गली - गली -----

अक्सर  चुनाव  भी आता, लेकर दुराव भी आता। 
सत्ता खातिर धन-बर्षा, तो फिर अभाव भी आता। 
जो चुप उनको धिक्कार, जमाना बदल रहा। 
पर गली - गली -----

अपराधी  को  संरक्षण, बस अपनों को आरक्षण। 
सारे  हैं खेल सियासी, जनता करती है निरीक्षण। 
क्यों सोच-सुमन बीमार, जमाना बदल रहा। 
पर गली - गली -----

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