Wednesday, June 19, 2024

लेकर भाग फकीरा

साधो! तू नकली रणवीरा। 
केवल  पाप  भरो  गठरी  में,  लेकर  भाग  फकीरा।।
साधो! तू नकली -----

तेरे  कारण  घर - घर फैली,  है  नफरत  की  आँधी।
देख   देख  के  स्वर्ग - लोक  में,  रोते   होंगे   गाँधी।
लद  गए  दिन  अच्छे  अब  तेरे, उल्टा  बहे  समीरा।।
साधो!? तू नकली -----

मन  की  बातें  करते  रहते, जन  की  सुन  लो भाई। 
जहाँ  बोलना  बहुत  जरूरी,  चुप  रहते  क्यों  सांई?
ताज  छिने  जाने के  डर  से,  सूरत   दिखे   अधीरा।।
साधो! तू नकली -----

देश-भक्त  के  रक्त  से  सिंचित, लोकतंत्र  है  भारत।
करे तिजारत जनहित की जो, उसको नहीं इजाजत।
दर्पण  लेकर निकले जन जन, बन के सुमन कबीरा।।
साधो! तू नकली -----

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