तुम गीतों के सौदागर हो, हम गीतों में जीते हैं।
सेव, संतरा तुझे मुबारक, हमको भले पपीते हैं।
तुम गीतों के सौदागर -----
टूटा फूटा, जी कर लिखता, हमको जितना आता है।
आगे पीछे किसी का करना, तनिक न हमको भाता है।
शब्द शब्द में अनुभव अपना, दर्द उसी में सीते हैं।
तुम गीतों के सौदागर -----
जहां तालियां मंच पे गूंजे, मत समझो कि पूरे हैं।
है साहित्य-समन्दर आगे, हम तो अभी अधूरे हैं।
मीठा शरबत तेरी किस्मत, गम निशि दिन हम पीते हैं।
तुम गीतों के सौदागर -----
माफ समय करता है किसको, वो सबका इतिहास लिखे।
यादों में सच्चे वर्षों तक, बाकी का परिहास दिखे।
सुमन चैन से खटिया सोया, तुमको लगे पलीते हैं।
तुम गीतों के सौदागर -----
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