रिश्ते - नाते छूट रहे हैं।
और बहुत कुछ टूट रहे हैं।
बची जिन्दगी, धर्म बचेगा,
लोग सियासी लूट रहे हैं।।
मरते लोगों का सवाल है।
क्या तुझको इसका मलाल है?
बनके सेवक करो सियासत,
मगर सियासत में दलाल है।
अपनों को अपना भाता है।
कोविड ने तोड़ा नाता है।
खबर मिली अपने हैं दुख में,
डर से कुछ क्या कर पाता है??
तू ने ये क्या हाल बनाया?
जीवन को जंजाल बनाया।
तुझको ताकत, तुझे मौज है,
भारत को बदहाल बनाया।।
नयी आस की सुबह कहाँ है?
लोग मरें क्यों वजह कहाँ है?
चमन सुमन बर्बाद किया यूँ,
श्मशानों में जगह कहाँ है?
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