होते क्या अच्छे दिन ऐसे, जिसमें सबकुछ हुआ तमाम।
अच्छे दिन में जानेवाले, तुझको अंतिम बार प्रणाम।।
आज यहाँ पर अच्छे दिन में, तड़प तड़प कर लोग मरे।
जीवित हैं वो परिजन के सँग, घर में सहमे, डरे डरे।
रोटी और दवाई के बिन, मचा देश में है कोहराम।
अच्छे दिन में जानेवाले -----
कहीं चुनावी रैली देखो, कहीं धरम का रेला है।
सिर्फ कड़ाई आमजनों पे, सब गद्दी का खेला है।
प्रश्न पूछना अच्छे दिन में, कहता शासन काम हराम।
अच्छे दिन में जानेवाले -----
नशा पिलाया अच्छे दिन का, सोच सभी का खतम किया।
फिर सरकारी उपक्रम बेचा, जनता पर ये रहम किया।
काम करे शासक बिन छुट्टी, सुमन करो मत यूँ बदनाम।
अच्छे दिन में जानेवाले -----
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