नजर झुकाना या फिर उठाना, नजर मिलाना लगा हुआ है
मिली मुहब्बत में जो निशानी, वहीं निशाना लगा हुआ है
भले हो मेरा या घर तुम्हारा, सभी घरों की यही कहानी
कसक मुहब्बत की जो है बाकी, उसे सुनाना लगा हुआ है
चला मुहब्बत के रास्ते जो, खुशी या गम के मिलेंगे आँसू
अगर किसीको जखम मिला तो, उसे छुपाना लगा हुआ है
बढ़ी जो दुनिया है रोज आगे, सदा मुहब्बत के रास्ते ही
मगर अभी नफरतों के शोले, से घर जलाना लगा हुआ है
सुमन मुहब्बत के ही सहारे, बचा ले पीढ़ी जो आनेवाली
हमें मिला है जो पूर्वजों से, उसे सजाना लगा हुआ है
No comments:
Post a Comment