Tuesday, June 9, 2009

प्रेम है दीपक राग

मिलन में नैन सजल होते हैं, विरह में जलती आग।
प्रियतम! प्रेम है दीपक राग।।

आए पतंगा बिना बुलाए कैसे दीप के पास।
चिंता क्या परिणाम की उसको पिया मिलन की आस।
जिद है मिलकर मिट जाने की यह कैसा अनुराग।
प्रियतम! प्रेम है दीपक राग।।

मीठे स्वर का मोल तभी तक संग बजते हों साज।
वीणा की वाणी होती क्या तबले में आवाज।
सुर सजते जब चोट हो तन पे और ह्रदय पर दाग।
प्रियतम! प्रेम है दीपक राग।।

चाँद को देखे रोज चकोरी क्या बुझती है प्यास।
कमल खिले निकले जब सूरज होते अस्त उदास।
हँसे कुमुदिनी चंदा के संग रोये सुमन का बाग़।
प्रियतम! प्रेम है दीपक राग।।

27 comments:

स्वप्न मञ्जूषा said...

आए पतंगा बिना बुलाए कैसे दीप के पास।
चिंता क्या परिणाम की उसको पिया मिलन की आस।
जिद है मिलकर मिट जाने की यह कैसा अनुराग।
प्रियतम! प्रेम है दीपक राग।।

श्यामल भईया
अति सुन्दर , बहुत बढ़िया
बस ऐसे ही अपना राग, अनुराग छलकाते रहें

ओम आर्य said...

baah kya baat hai aapki lekhani me......nishabda ho gaye

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

प्रियतम प्रेम है दीपक राग....सुन्दर

रंजू भाटिया said...

मीठे स्वर का मोल तभी तक संग बजते हों साज।

बहुत खूब बहुत सही और सुन्दर कहा आपने ..शुक्रिया

समय चक्र said...

"मिलन में नैन सजल होते है और दिलो में आग लगती है "
अरे भाई बहुत सुन्दर क्या कहने बधाई.

समय चक्र said...

"मिलन में नैन सजल होते है और विरह में दिलो में आग लगती है "
अरे भाई बहुत सुन्दर क्या कहने बधाई. खुश होकर एक टीप और. बधाई हो बधाई श्यामल जी

Unknown said...

shabdon ki saari mithas nichod kar aapne apne geeton me bhar dee hai..........bade meethe lagte hain...
badhai
badhai
badhai

रश्मि प्रभा... said...

मीठे स्वर का मोल तभी तक संग बजते हों साज।
वीणा की वाणी होती क्या तबले में आवाज।
सुर सजते जब चोट हो तन पे और ह्रदय पर दाग।
प्रियतम! प्रेम है दीपक राग।।
.......bahut khoob

रश्मि प्रभा... said...

मीठे स्वर का मोल तभी तक संग बजते हों साज।
वीणा की वाणी होती क्या तबले में आवाज।
सुर सजते जब चोट हो तन पे और ह्रदय पर दाग।
प्रियतम! प्रेम है दीपक राग।।
.......bahut khoob

रश्मि प्रभा... said...

मीठे स्वर का मोल तभी तक संग बजते हों साज।
वीणा की वाणी होती क्या तबले में आवाज।
सुर सजते जब चोट हो तन पे और ह्रदय पर दाग।
प्रियतम! प्रेम है दीपक राग।।
.....bahut khoob

राज भाटिय़ा said...

सच कहू तो प्यार तो यही है, जो परिणाम की परवाह ना करे.
बहुत सुंदर भाव लिये है आप की यह कविता.
धन्यवाद

परमजीत सिहँ बाली said...

सुन्दर गीत है।बधाई स्वीकारें।

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर गीत!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

"मिलन में नैन सजल होते हैं,
विरह में जलती आग।
प्रियतम! प्रेम है दीपक राग।।"
सुन्दर रचना।
बधाई।

Urmi said...

आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! वाह वाह क्या बात है! आपकी सुंदर पंक्तियों ने तो दिल को छू लिया बिल्कुल सही कहा है आपने की प्यार का पहला शब्द ही अधुरा होता है!
आपने इतना ख़ूबसूरत कविता लिखा है जो काबिले तारीफ है! बहुत बढ़िया लगा !

Anonymous said...

सुंदर गीत....................बहुत खूब.....

साभार
हमसफ़र यादों का.......

श्यामल सुमन said...

आप सबके प्यार और समर्थन के लिए अनेकानेक धन्यवाद।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

दिगम्बर नासवा said...

मीठे स्वर का मोल तभी तक संग बजते हों साज।
वीणा की वाणी होती क्या तबले में आवाज।
सुर सजते जब चोट हो तन पे और ह्रदय पर दाग।
प्रियतम! प्रेम है दीपक राग

सुमन जी ...............लाजवाब प्रेम रस में डूबी खूबसूरत रचना............

सुरभि said...

बहुत खूबसूरत रचना ...आभार !

vandana gupta said...

prem ko anootha roop dene ke liye shukriya.........prem hai deepak raag.........waah!

प्रिया said...

कमल खिले निकले जब सूरज होते अस्त उदास।
हँसे कुमुदिनी चंदा के संग रोये सुमन का बाग़।

good one!

Prem Farukhabadi said...

आए पतंगा बिना बुलाए कैसे दीप के पास।
चिंता क्या परिणाम की उसको पिया मिलन की आस।
जिद है मिलकर मिट जाने की यह कैसा अनुराग।
प्रियतम! प्रेम है दीपक राग।।


श्यामल भाई,
रचना आपकी तन्मयता से गुनगुनायी जा सकती हैं आपकी मेहनत काबिले तारीफ है

Himanshu Pandey said...

जबर्दस्त कविता । मैं मुग्ध हूँ । स्वभाववश नहीं, प्रभाववश ।

Alpana Verma said...

जिद है मिलकर मिट जाने की यह कैसा अनुराग।
प्रियतम! प्रेम है दीपक राग।।
waaah!

abhi padhi aap ki teeno rachnaon mein ..
yah kavita sab se adhik pasand aayi.

गुड्डोदादी said...
This comment has been removed by the author.
गुड्डोदादी said...

क्या लिखूं आपने तो सभी कुछ तो वर्णन कर दिया
चंदा तो एक बार माह में प्रसन्न होता है
सूर्ये किसके विरह में अपने आप को जलाता है
कोई तो बता दे टूटे हुए दिल को अपनी कहानी अपनी जबानी

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

श्यामल भईया
अति सुन्दर , बहुत बढ़िया

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