टिप्पणी करना कर्म तो टिप्पणी पाना धर्म।
ब्लागर के सम्बन्ध का यहाँ छुपा है मर्म।।
अच्छी रचना जो लगे लिखें वहाँ पर खास।
रचनाकारों का तभी बढ़ता है विश्वास।।
नव लेखक रचना करे दोष कहीं और जोश।
समय पे देकर मशविरा उसे दिलायें होश।।
अलग अलग सब लोग हैं उनके अलग विचार।
टिप्पणी देकर ही सही बढ़े सभी का प्यार।।
बदले में टिप्पणी मिले सोचा कभी न जाय।
गलती को गलती कहें सुमन कहे समुझाय।।
Saturday, July 11, 2009
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25 comments:
टिपण्णी महत्त्व की बड़ी सटीक विवेचना की आपने.....कविता लाजवाब है....
आपने तो टिप्पणी के महत्व को बखूबी रेखांकित कर दिया.
बहुत सुन्दर
बहुत सुन्दर सटीक
टिपण्णी जरूरी हैं, महता इसकी है बहुत भारी
लिख कर रचना आपने याद दिलाई भूल हमारी
बहुत सटीक और सार्थक लिखा है भईया आपने...
हमेशा की तरह....
बहुत ही सटीक .............सुल्झे हुये तेवर मे .......यही आपकी खाशियत है.....धन्यावाद
श्यामल जी,
दोहों में लिखी हुई सुन्दर बात।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
waah bahut hi badhiya
मैं जरा ऐसे कह देता हूँ:
रचना लिखना कर्म है, टिप्पणी करना धर्म
अपना धर्म निभायेंगे, नहीं थकेंगे हम!!
-बेहतरीन दोहे रचे, बधाई!!
dohon mein tippani ki mahatta aapne bakhubi samjhayi hai.........bahut hi badhiya.
टिप्पणियों की महिमा पर आपके दोहे खूब जँच रहे हैं......पूछना रह गया कि आप गाँव से कब लौटे....और सब कुशल-मंगल ??
साभार
प्रशान्त कुमार (काव्यांश)
हमसफ़र यादों का.......
सुमन खडा बाजार मै अपना लेपटाप चलाये,
जिस को टिपण्णी चाहिये मांग मांग ले जाये
बहुत सुंदर लेगे आप के दोहे.
धन्यवाद
आशीष जी के लेख पर लिखे थे दोहे पाँच।
किया ब्लाग पर पोस्ट उसे बात कहूँ मैं साँच।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत सुन्दर दोहे. पढ़ कर बिना मुस्कराए नहीं रह सका. कोशिस करूँगा कि जिस ब्लॉग पर भी जाऊँ, बिना टिपण्णी लिखे नहीं आऊ.
अच्छी रचना जो लगे लिखें वहाँ पर खास।
रचनाकारों का तभी बढ़ता है विश्वास।।
बहुत सार्थक और लाजवाब..
बधाई!
अलग अलग सब लोग हैं उनके अलग विचार।
टिप्पणी देकर ही सही बढ़े सभी का प्यार
सटीक विवेचना......सुन्दर बात..... Lajawaab rachnaa
बदले में टिप्पणी मिले सोचा कभी न जाय।
गलती को गलती कहें सुमन कहे समुझाय।।
bahut sundar!
वाह श्यामल जी ये टिप्पणी पुराण लिखने का पुन्य तो अपको मिल ही गया टिप्पणी के रूप मे बहुत बडिया आभार्
badiya :-)
waah....behtareen dohe...
waah....behtareen dohe...
aapki rachnaye gagr me sagar hoti hai .. sach kahoo to man prafullit ho gaya.........
श्यामल जी,
आपका धन्यवाद...
आपने बखूबी ब्लॉग धर्म का परिचय दिया है और इतने सुन्दर तरीके से की क्या कहूँ...
आपकी रचनाये खूबसूरत और सुलझी हुई हैं...
यूँ ही हम प्रयत्नशील रचनाकारों का उत्साहवर्धन करते रहें...
मुझे कई बार लोगो ने कहा की मेरी रचनाये अच्छी होती हैं लेकिन उनमें गेयता एवं रवानी की कमी होती है, ऐसा मुझे भी लगता है...
क्या करूँ?
वाह बहुत बढ़िया और लाजवाब रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ !
टिप्पणी करने पर अधिकार है, उसके फल (टिप्पणी पाने) पर नहीं। यही भग्वद्गीता का ज्ञान है!
नव लेखक रचना करे दोष कहीं और जोश।
समय पे देकर मशविरा उसे दिलायें होश।।
bahut achhe dohe bane hain janab....
ye wala bahut achha laga
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