Saturday, July 11, 2009

टिप्पणी करना कर्म

टिप्पणी करना कर्म तो टिप्पणी पाना धर्म।
ब्लागर के सम्बन्ध का यहाँ छुपा है मर्म।।

अच्छी रचना जो लगे लिखें वहाँ पर खास।
रचनाकारों का तभी बढ़ता है विश्वास।।

नव लेखक रचना करे दोष कहीं और जोश।
समय पे देकर मशविरा उसे दिलायें होश।।

अलग अलग सब लोग हैं उनके अलग विचार।
टिप्पणी देकर ही सही बढ़े सभी का प्यार।।

बदले में टिप्पणी मिले सोचा कभी न जाय।
गलती को गलती कहें सुमन कहे समुझाय।।

25 comments:

रंजना said...

टिपण्णी महत्त्व की बड़ी सटीक विवेचना की आपने.....कविता लाजवाब है....

M VERMA said...

आपने तो टिप्पणी के महत्व को बखूबी रेखांकित कर दिया.
बहुत सुन्दर

समयचक्र said...

बहुत सुन्दर सटीक

स्वप्न मञ्जूषा said...

टिपण्णी जरूरी हैं, महता इसकी है बहुत भारी
लिख कर रचना आपने याद दिलाई भूल हमारी

बहुत सटीक और सार्थक लिखा है भईया आपने...
हमेशा की तरह....

ओम आर्य said...

बहुत ही सटीक .............सुल्झे हुये तेवर मे .......यही आपकी खाशियत है.....धन्यावाद

मुकेश कुमार तिवारी said...

श्यामल जी,

दोहों में लिखी हुई सुन्दर बात।

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

mehek said...

waah bahut hi badhiya

Udan Tashtari said...

मैं जरा ऐसे कह देता हूँ:

रचना लिखना कर्म है, टिप्पणी करना धर्म
अपना धर्म निभायेंगे, नहीं थकेंगे हम!!


-बेहतरीन दोहे रचे, बधाई!!

vandana gupta said...

dohon mein tippani ki mahatta aapne bakhubi samjhayi hai.........bahut hi badhiya.

Anonymous said...

टिप्पणियों की महिमा पर आपके दोहे खूब जँच रहे हैं......पूछना रह गया कि आप गाँव से कब लौटे....और सब कुशल-मंगल ??

साभार
प्रशान्त कुमार (काव्यांश)
हमसफ़र यादों का.......

राज भाटिय़ा said...

सुमन खडा बाजार मै अपना लेपटाप चलाये,
जिस को टिपण्णी चाहिये मांग मांग ले जाये
बहुत सुंदर लेगे आप के दोहे.
धन्यवाद

श्यामल सुमन said...

आशीष जी के लेख पर लिखे थे दोहे पाँच।
किया ब्लाग पर पोस्ट उसे बात कहूँ मैं साँच।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

मनोज गुप्ता said...

बहुत सुन्दर दोहे. पढ़ कर बिना मुस्कराए नहीं रह सका. कोशिस करूँगा कि जिस ब्लॉग पर भी जाऊँ, बिना टिपण्णी लिखे नहीं आऊ.

विनोद कुमार पांडेय said...

अच्छी रचना जो लगे लिखें वहाँ पर खास।
रचनाकारों का तभी बढ़ता है विश्वास।।

बहुत सार्थक और लाजवाब..
बधाई!

दिगम्बर नासवा said...

अलग अलग सब लोग हैं उनके अलग विचार।
टिप्पणी देकर ही सही बढ़े सभी का प्यार

सटीक विवेचना......सुन्दर बात..... Lajawaab rachnaa

Prem Farukhabadi said...

बदले में टिप्पणी मिले सोचा कभी न जाय।
गलती को गलती कहें सुमन कहे समुझाय।।

bahut sundar!

निर्मला कपिला said...

वाह श्यामल जी ये टिप्पणी पुराण लिखने का पुन्य तो अपको मिल ही गया टिप्पणी के रूप मे बहुत बडिया आभार्

प्रिया said...

badiya :-)

शेफाली पाण्डे said...

waah....behtareen dohe...

शेफाली पाण्डे said...

waah....behtareen dohe...

Harshvardhan said...

aapki rachnaye gagr me sagar hoti hai .. sach kahoo to man prafullit ho gaya.........

Neeraj Kumar said...

श्यामल जी,
आपका धन्यवाद...
आपने बखूबी ब्लॉग धर्म का परिचय दिया है और इतने सुन्दर तरीके से की क्या कहूँ...
आपकी रचनाये खूबसूरत और सुलझी हुई हैं...
यूँ ही हम प्रयत्नशील रचनाकारों का उत्साहवर्धन करते रहें...
मुझे कई बार लोगो ने कहा की मेरी रचनाये अच्छी होती हैं लेकिन उनमें गेयता एवं रवानी की कमी होती है, ऐसा मुझे भी लगता है...
क्या करूँ?

Urmi said...

वाह बहुत बढ़िया और लाजवाब रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ !

Gyan Dutt Pandey said...

टिप्पणी करने पर अधिकार है, उसके फल (टिप्पणी पाने) पर नहीं। यही भग्वद्गीता का ज्ञान है!

Nipun Pandey said...

नव लेखक रचना करे दोष कहीं और जोश।
समय पे देकर मशविरा उसे दिलायें होश।।


bahut achhe dohe bane hain janab....
ye wala bahut achha laga

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