इक नयी खुशबू कहाँ से पास मेरे आ गयी
सोच की धारा बदलकर जिन्दगी में छा गयी
रोज मिलते जो हजारों लोग कितने याद हैं
आँख से उतरा हृदय में प्रीत उसकी भा गयी
फिर मेरी मुस्कान लौटे, ऐसा लगता था मगर
मेरी ही मुस्कान मेरे आशियां को खा गयी
कुछ ना कुछ चाहत अगर पूरी हुई तो खुद-ब-खुद
जिन्दगी कहती कि मानो सारी खुशियाँ पा गयी
बात करते कम सुमन की प्यार लेकिन खास है
याद उस एहसास की दिल से अभी तक ना गयी
सोच की धारा बदलकर जिन्दगी में छा गयी
रोज मिलते जो हजारों लोग कितने याद हैं
आँख से उतरा हृदय में प्रीत उसकी भा गयी
फिर मेरी मुस्कान लौटे, ऐसा लगता था मगर
मेरी ही मुस्कान मेरे आशियां को खा गयी
कुछ ना कुछ चाहत अगर पूरी हुई तो खुद-ब-खुद
जिन्दगी कहती कि मानो सारी खुशियाँ पा गयी
बात करते कम सुमन की प्यार लेकिन खास है
याद उस एहसास की दिल से अभी तक ना गयी
29 comments:
वाह श्यामल जी ,
सही कहा है ......नयी खुशबू से सोच की धारा तो बदलेगी ही ....बहुत खूब !!
इक नयी खुशबू कहाँ से पास मेरे आ गयी
सोच की धारा बदलकर जिन्दगी में छा गयी
भईया,
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ... सुन्दर भाव की खुशबू लिए हुए आपकी कविता जीवंत और मुखर..
सादर..
बहुत बढिया भाव के साथ सुंदर रचना !!
याद जिस एहसास की आज तक ना गयी ...खास तो है ही ..!!
कुछ न कुछ तो शेष रहतीं जिन्दगी में चाहतें
जिन्दगी कहती कि मानो सारी खुशियाँ पा गयी
-बेहतरीन!!
बात करते कम सुमन की प्यार लेकिन खास है
याद उस एहसास की दिल से अभी तक ना गयी
बहुत बढ़िया है सुमन जी. बधाई.
श्यामल भाय, अहि खुशबू सं त पूरा वातावरण गमगमा रहल अईछ , बहुत नीक अति उत्तम
अजय कुमार झा
बात करते कम सुमन की प्यार लेकिन खास है
याद उस एहसास की दिल से अभी तक ना गयी! भाव की खुशबू लिए हुए सुंदर रचना !!बधाई.
वाह! स्यामल जी इस गजल मे तो बहुत उर्जा भरी है। काफ़ी हौसला बढाने का ईंतजाम है। शुभकामनाएं
कब तक युवा रहेगा बसंत?
चिट्ठाकार चर्चा
कुछ न कुछ तो शेष रहतीं जिन्दगी में चाहतें
जिन्दगी कहती कि मानो सारी खुशियाँ पा गयी
वाह, अति सुन्दर श्यामल जी !
श्यामल जी
आपकी गजल पढ़ कर मुख से वाह वाह निकल गई शब्द मन को छू गए
तड़प है सूरज की तरह
सोच की धारा बदल कर जिंदगी में आकर छा गई
लिखने को तो बहुत कुछ है पर लिख नहीं पायी
चाँद ने कहा कौन है मेरा
यही विनती करता हूँ की
रात इस रात का ना हो सवेरा
श्यामल जी
आशीर्वाद लिखना भूल गई नयी गजल का
क्षमा याचना
गुड्डो दादी चिकागो से
ek naya ahsaas liye hai rachna.......bahut hi sundar......khushboo ki tarah hi dil mein bas gayi.
वाह भाई श्यामल जी बहुत सुंदर.
"कुछ न कुछ तो शेष रहतीं जिन्दगी में चाहतें
जिन्दगी कहती कि मानो सारी खुशियाँ पा गयी"
अति सुन्दर. सच मे, दिल भले ही लगे, कि सब कुछ पा लिया इस जहाँ में, फिर भी कुछ ना कुछ रह जाता है.
bahut badhiyaa
Basanti suman samaan gamgamaait rachna....Waah bhaaiji!!!
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ... सुन्दर भाव की खुशबू लिए हुए आपकी कविता
बहुत बढिया भाव के साथ सुंदर रचना !!
इक नयी खुशबू कहाँ से पास मेरे आ गयी
सोच की धारा बदलकर जिन्दगी में छा गयी
अच्छे भाव लिए रचना। सुन्दर।
wah bhi wah......
excellent......
www.chanderksoni.blogspot.com
कुछ न कुछ तो शेष रहतीं जिन्दगी में चाहतें
जिन्दगी कहती कि मानो सारी खुशियाँ पा गयी
वाह बहुत खुब सुरत कविता.
धन्यवाद
आप सबके प्यार और समर्थन का शुक्रिया। आभारी हूँ।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बात करते कम सुमन की प्यार लेकिन खास है
याद उस एहसास की दिल से अभी तक ना गयी
यह एहसास ही तो जीवन का सार है!
इक नयी खुशबू कहाँ से पास मेरे आ गयी
सोच की धारा बदलकर जिन्दगी में छा गय
वाह सुमन जी आपका ये प्रयास जरूर रंग लायेगा जीवन धारा बदलेगी बधाइ और शुभकामनायें
shyamal ji bahut khoob.. aajkal lambe samay se aapse koi samprak nahi hai......sab theek hai?
bahut hi sundar bhaaw..... dil ko chuu gayi...
बहुत ही भाव पूर्ण गज़ल । अपनी खुशबू बिखेरती हुई ।
बहुत खूब श्यामल जी...बहुत खूब सर!
हिंदी के इन शब्दों के साथ इतनी चुस्त ग़ज़ल लिखना....धन्य हैं गुरुवर!
सारे के सारे के शेर लाजवाब हैं...
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