Wednesday, January 20, 2010

खुशबू

इक नयी खुशबू कहाँ से पास मेरे आ गयी
सोच की धारा बदलकर जिन्दगी में छा गयी

रोज मिलते जो हजारों लोग कितने याद हैं
आँख से उतरा हृदय में प्रीत उसकी भा गयी

फिर मेरी मुस्कान लौटे, ऐसा लगता था मगर
मेरी ही मुस्कान मेरे आशियां को खा गयी

कुछ ना कुछ चाहत अगर पूरी हुई तो खुद-ब-खुद
जिन्दगी कहती कि मानो सारी खुशियाँ पा गयी

बात करते कम सुमन की प्यार लेकिन खास है
याद उस एहसास की दिल से अभी तक ना गयी

29 comments:

Kusum Thakur said...

वाह श्यामल जी ,
सही कहा है ......नयी खुशबू से सोच की धारा तो बदलेगी ही ....बहुत खूब !!

स्वप्न मञ्जूषा said...

इक नयी खुशबू कहाँ से पास मेरे आ गयी
सोच की धारा बदलकर जिन्दगी में छा गयी
भईया,
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ... सुन्दर भाव की खुशबू लिए हुए आपकी कविता जीवंत और मुखर..
सादर..

संगीता पुरी said...

बहुत बढिया भाव के साथ सुंदर रचना !!

वाणी गीत said...

याद जिस एहसास की आज तक ना गयी ...खास तो है ही ..!!

Udan Tashtari said...

कुछ न कुछ तो शेष रहतीं जिन्दगी में चाहतें
जिन्दगी कहती कि मानो सारी खुशियाँ पा गयी


-बेहतरीन!!

अमिताभ मीत said...

बात करते कम सुमन की प्यार लेकिन खास है
याद उस एहसास की दिल से अभी तक ना गयी

बहुत बढ़िया है सुमन जी. बधाई.

अजय कुमार झा said...

श्यामल भाय, अहि खुशबू सं त पूरा वातावरण गमगमा रहल अईछ , बहुत नीक अति उत्तम
अजय कुमार झा

प्रज्ञा पांडेय said...

बात करते कम सुमन की प्यार लेकिन खास है
याद उस एहसास की दिल से अभी तक ना गयी! भाव की खुशबू लिए हुए सुंदर रचना !!बधाई.

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

वाह! स्यामल जी इस गजल मे तो बहुत उर्जा भरी है। काफ़ी हौसला बढाने का ईंतजाम है। शुभकामनाएं




कब तक युवा रहेगा बसंत?
चिट्ठाकार चर्चा

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

कुछ न कुछ तो शेष रहतीं जिन्दगी में चाहतें
जिन्दगी कहती कि मानो सारी खुशियाँ पा गयी

वाह, अति सुन्दर श्यामल जी !

गुड्डोदादी said...

श्यामल जी
आपकी गजल पढ़ कर मुख से वाह वाह निकल गई शब्द मन को छू गए
तड़प है सूरज की तरह
सोच की धारा बदल कर जिंदगी में आकर छा गई
लिखने को तो बहुत कुछ है पर लिख नहीं पायी
चाँद ने कहा कौन है मेरा
यही विनती करता हूँ की
रात इस रात का ना हो सवेरा

गुड्डोदादी said...

श्यामल जी
आशीर्वाद लिखना भूल गई नयी गजल का
क्षमा याचना
गुड्डो दादी चिकागो से

vandana gupta said...

ek naya ahsaas liye hai rachna.......bahut hi sundar......khushboo ki tarah hi dil mein bas gayi.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वाह भाई श्यामल जी बहुत सुंदर.

dipayan said...

"कुछ न कुछ तो शेष रहतीं जिन्दगी में चाहतें
जिन्दगी कहती कि मानो सारी खुशियाँ पा गयी"

अति सुन्दर. सच मे, दिल भले ही लगे, कि सब कुछ पा लिया इस जहाँ में, फिर भी कुछ ना कुछ रह जाता है.

रश्मि प्रभा... said...

bahut badhiyaa

रंजना said...

Basanti suman samaan gamgamaait rachna....Waah bhaaiji!!!

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ... सुन्दर भाव की खुशबू लिए हुए आपकी कविता

संजय भास्‍कर said...

बहुत बढिया भाव के साथ सुंदर रचना !!

डॉ टी एस दराल said...

इक नयी खुशबू कहाँ से पास मेरे आ गयी
सोच की धारा बदलकर जिन्दगी में छा गयी

अच्छे भाव लिए रचना। सुन्दर।

चन्द्र कुमार सोनी said...

wah bhi wah......
excellent......
www.chanderksoni.blogspot.com

राज भाटिय़ा said...

कुछ न कुछ तो शेष रहतीं जिन्दगी में चाहतें
जिन्दगी कहती कि मानो सारी खुशियाँ पा गयी
वाह बहुत खुब सुरत कविता.
धन्यवाद

श्यामल सुमन said...

आप सबके प्यार और समर्थन का शुक्रिया। आभारी हूँ।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बात करते कम सुमन की प्यार लेकिन खास है
याद उस एहसास की दिल से अभी तक ना गयी

यह एहसास ही तो जीवन का सार है!

निर्मला कपिला said...

इक नयी खुशबू कहाँ से पास मेरे आ गयी
सोच की धारा बदलकर जिन्दगी में छा गय
वाह सुमन जी आपका ये प्रयास जरूर रंग लायेगा जीवन धारा बदलेगी बधाइ और शुभकामनायें

Harshvardhan said...

shyamal ji bahut khoob.. aajkal lambe samay se aapse koi samprak nahi hai......sab theek hai?

ρяєєтii said...

bahut hi sundar bhaaw..... dil ko chuu gayi...

Asha Joglekar said...

बहुत ही भाव पूर्ण गज़ल । अपनी खुशबू बिखेरती हुई ।

गौतम राजऋषि said...

बहुत खूब श्यामल जी...बहुत खूब सर!

हिंदी के इन शब्दों के साथ इतनी चुस्त ग़ज़ल लिखना....धन्य हैं गुरुवर!

सारे के सारे के शेर लाजवाब हैं...

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