मेरे गीतों में तू मेरे ख्वाबों में तू,
इक हकीकत भी हो और किताबों में तू।
तू ही तू है मेरी जिन्दगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।
तू न होती तो फिर मेरी दुनिया कहाँ?
तेरे होने से मैंने ये देखा जहाँ।
कष्ट लाखों सहे तुमने मेरे लिए,
और सिखाया कला जी सकूँ मैं यहाँ।
प्यार की झिरकियाँ और कभी दिल्लगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।
तेरी ममता मिली मैं जिया छाँव में।
वही ममता बिलखती अभी गाँव में।
काटकर के कलेजा वो माँ का गिरा,
आह निकली उधर, क्या लगी पाँव में?
तेरी गहराइयों में मिली सादगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।
गोद तेरी मिले है ये चाहत मेरी।
दूर तुमसे हूँ शायद ये किस्मत मेरी।
है सुमन का नमन माँ हृदय से तुझे,
सदा सुमिरूँ तुझे हो ये आदत मेरी।
बढ़े अच्छाईयाँ दूर हो गन्दगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।
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34 comments:
मातु पिता गुर प्रभु कै बानी ।
बिनहिं विचार करिअ सुभ जानी ।।
behatareen, matra naman.
माँ तो ऐसी ही होती है...सुन्दर रचना!
"तेरी ममता मिली मैं जिया छाँव में।
वही ममता बिलखती अभी गाँव में।
काटकर के कलेजा वो माँ का गिरा,
आह निकली उधर, क्या लगी पाँव में?
तेरी गहराइयों में मिली सादगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।"
वाह ......बहुत ही भावपूर्ण रचना है !!
aapne maa ki yaad dila di maa ke liye tadapai rooh ko chhoo diya. sunder rachana ke liye badhayi
माँ तो माँ है
यह सारा जहाँ है
माँ को याद करती और कराती बहुत सुन्दर रचना।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी..
BAHUT ACHEE RCHNA.
सादर वन्दे
जिसमे खुद भगवान ने खेले खेल विचित्र
माँ कि गोंदी से नहीं कोई तीर्थ पवित्र
रत्नेश त्रिपाठी
श्यामल जी, बहुत अच्छी रचना है........ दिल को छूती हुई !!
Bahut hi bhavpurn laajawab prastuti...Aabhar!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
सचमुच दिल को छूती हुई रचना !!
माँ तो माँ है
यह सारा जहाँ है
दिल को छू रही है यह कविता .......... सत्य की बेहद करीब है ..........
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
माँ को समर्पित अत्यन्त सुंदर रचना...
ममत्व की मूर्ति माँ ..... सुंदर रचना
काटकर के कलेजा वो माँ का गिरा,
आह निकली उधर, क्या लगी पाँव में?
तेरी गहराइयों में मिली सादगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।"
बहुत ही अच्छी लगी ये रचना । धन्यवाद
तू न होती तो फिर मेरी दुनिया कहाँ?
तेरे होने से मैंने ये देखा जहाँ।
कष्ट लाखों सहे तुमने मेरे लिए,
और सिखाया कला जी सकूँ मैं यहाँ।
प्यार की झिरकियाँ और कभी दिल्लगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।
बहुत सधी हुई रचना ..मनभावन ऐसे हीं लाइन मन में आते हें जब भी माँ को सोंचता हूँ..
बेहद सच्ची सुन्दर रचना के लिए बधाई .
श्यामल जी
सुखी रहो
काटकर जो कलेजा वो माँ का गिरा ,
आह निकली उधर,क्या लगी पाँव में?
कितनी आसानी से आप इतनी घहरी बात लिख
गए ,सचमुच माँ तो ममता की प्रतिमूर्ति होती है
जो कष्ट सह कर भी अपनी संतान का भला ही
चाहती है .फिर आपने लिखा
गोद तेरी मिले यह चाहत मेरी
दूर तुमसे हूँ शायद किस्मत मेरी
धन्यवाद
आशीर्वाद के साथ
आपकी गुड्डो दादी चिकागो अमेरिका से
भावुक कर दिया आपने....
रचना के भाव और सौन्दर्य को किन शब्दों में बांधू.....
माता को नमन....
बहुत ही सुन्दर, भावपूर्ण और दिल को छू लेने वाली रचना लिखा है आपने! माँ हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं और उन्हीं की वजह से हम इस दुनिया में कदम रखते हैं! माँ के साथ बच्चे का एक अनमोल रिश्ता होता है! माँ पिताजी दोनों ही भगवान सामान होते हैं और उनके बारे में जितना भी कहा जाए कम है!
maa ki bandagi me sabkuch nyochhawar
मां तो रघ रग मै बसी है, बहुत सुंदर कविता. धन्यवाद
jawaab nahi is rachna ka .....maa hoti aise hai ......jiski duniya mein kisi koi tulna nahi
तू न होती तो फिर मेरी दुनिया कहाँ?
तेरे होने से मैंने ये देखा जहाँ।
कष्ट लाखों सहे तुमने मेरे लिए,
और सिखाया कला जी सकूँ मैं यहाँ।
प्यार की झिरकियाँ और कभी दिल्लगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।
sunder avum bhavpoorn rachana..........
maa.........kuch kehte nahi banta..
बेहद खूबसूरत भावाभिव्यक्ति...बेहतरीन रचना..बधाई.
______________
शब्द सृजन की ओर पर पढ़ें- "लौट रही है ईस्ट इण्डिया कंपनी".
आप सबके प्यार और समर्थन के प्रति विनम्र आभार।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
मां ही घरों में ईश्वर स्वरूप है । सुंदर कविता ।
bahut badhiyaa likhaa hain aapne.
agar aap sirf maa bhi likh dete to bhi kaam chal jaataa.
maa shabd hi apne aap main itnaa badaa hain.
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
बहुत ही मर्मस्पर्शी और भावपूर्ण रचना ! आभार !
गोद तेरी मिले है ये चाहत मेरी।
दूर तुमसे हूँ शायद ये किस्मत मेरी।
बहुत ही भावुकता से भरपूर भावोभरी भावुकतापूर्ण
कविता किसे आन्स्सो नहीं आयेंगे पढ़ कर
1माँ की दुआ कभी खाली नहीं जाती,
उसकी बद्दुआ कभी टाली नहीं जाती,
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