Monday, February 22, 2010

माँ

मेरे गीतों में तू मेरे ख्वाबों में तू,
इक हकीकत भी हो और किताबों में तू।
तू ही तू है मेरी जिन्दगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।

तू न होती तो फिर मेरी दुनिया कहाँ?
तेरे होने से मैंने ये देखा जहाँ।
कष्ट लाखों सहे तुमने मेरे लिए,
और सिखाया कला जी सकूँ मैं यहाँ।
प्यार की झिरकियाँ और कभी दिल्लगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।

तेरी ममता मिली मैं जिया छाँव में।
वही ममता बिलखती अभी गाँव में।
काटकर के कलेजा वो माँ का गिरा,
आह निकली उधर, क्या लगी पाँव में?
तेरी गहराइयों में मिली सादगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।

गोद तेरी मिले है ये चाहत मेरी।
दूर तुमसे हूँ शायद ये किस्मत मेरी।
है सुमन का नमन माँ हृदय से तुझे,
सदा सुमिरूँ तुझे हो ये आदत मेरी।
बढ़े अच्छाईयाँ दूर हो गन्दगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।

34 comments:

मनोज कुमार said...

मातु पिता गुर प्रभु कै बानी ।
बिनहिं विचार करिअ सुभ जानी ।।

Yogesh Verma Swapn said...

behatareen, matra naman.

Udan Tashtari said...

माँ तो ऐसी ही होती है...सुन्दर रचना!

Kusum Thakur said...

"तेरी ममता मिली मैं जिया छाँव में।
वही ममता बिलखती अभी गाँव में।
काटकर के कलेजा वो माँ का गिरा,
आह निकली उधर, क्या लगी पाँव में?
तेरी गहराइयों में मिली सादगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।"

वाह ......बहुत ही भावपूर्ण रचना है !!

प्रज्ञा पांडेय said...

aapne maa ki yaad dila di maa ke liye tadapai rooh ko chhoo diya. sunder rachana ke liye badhayi

M VERMA said...

माँ तो माँ है
यह सारा जहाँ है

डॉ टी एस दराल said...

माँ को याद करती और कराती बहुत सुन्दर रचना।

डॉ. मनोज मिश्र said...

क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी..
BAHUT ACHEE RCHNA.

aarya said...

सादर वन्दे
जिसमे खुद भगवान ने खेले खेल विचित्र
माँ कि गोंदी से नहीं कोई तीर्थ पवित्र
रत्नेश त्रिपाठी

अमिताभ मीत said...

श्यामल जी, बहुत अच्छी रचना है........ दिल को छूती हुई !!

रानीविशाल said...

Bahut hi bhavpurn laajawab prastuti...Aabhar!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/

संगीता पुरी said...

सचमुच दिल को छूती हुई रचना !!

संजय भास्‍कर said...

माँ तो माँ है
यह सारा जहाँ है

संजय भास्‍कर said...

दिल को छू रही है यह कविता .......... सत्य की बेहद करीब है ..........

संजय भास्‍कर said...

हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

विनोद कुमार पांडेय said...

माँ को समर्पित अत्यन्त सुंदर रचना...

PadmSingh said...

ममत्व की मूर्ति माँ ..... सुंदर रचना

निर्मला कपिला said...

काटकर के कलेजा वो माँ का गिरा,
आह निकली उधर, क्या लगी पाँव में?
तेरी गहराइयों में मिली सादगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।"
बहुत ही अच्छी लगी ये रचना । धन्यवाद

Arshad Ali said...

तू न होती तो फिर मेरी दुनिया कहाँ?
तेरे होने से मैंने ये देखा जहाँ।
कष्ट लाखों सहे तुमने मेरे लिए,
और सिखाया कला जी सकूँ मैं यहाँ।
प्यार की झिरकियाँ और कभी दिल्लगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।

बहुत सधी हुई रचना ..मनभावन ऐसे हीं लाइन मन में आते हें जब भी माँ को सोंचता हूँ..
बेहद सच्ची सुन्दर रचना के लिए बधाई .

गुड्डोदादी said...

श्यामल जी
सुखी रहो
काटकर जो कलेजा वो माँ का गिरा ,
आह निकली उधर,क्या लगी पाँव में?
कितनी आसानी से आप इतनी घहरी बात लिख
गए ,सचमुच माँ तो ममता की प्रतिमूर्ति होती है
जो कष्ट सह कर भी अपनी संतान का भला ही
चाहती है .फिर आपने लिखा
गोद तेरी मिले यह चाहत मेरी
दूर तुमसे हूँ शायद किस्मत मेरी

धन्यवाद
आशीर्वाद के साथ
आपकी गुड्डो दादी चिकागो अमेरिका से

रंजना said...

भावुक कर दिया आपने....


रचना के भाव और सौन्दर्य को किन शब्दों में बांधू.....
माता को नमन....

Urmi said...

बहुत ही सुन्दर, भावपूर्ण और दिल को छू लेने वाली रचना लिखा है आपने! माँ हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं और उन्हीं की वजह से हम इस दुनिया में कदम रखते हैं! माँ के साथ बच्चे का एक अनमोल रिश्ता होता है! माँ पिताजी दोनों ही भगवान सामान होते हैं और उनके बारे में जितना भी कहा जाए कम है!

रश्मि प्रभा... said...

maa ki bandagi me sabkuch nyochhawar

राज भाटिय़ा said...

मां तो रघ रग मै बसी है, बहुत सुंदर कविता. धन्यवाद

Dev said...

jawaab nahi is rachna ka .....maa hoti aise hai ......jiski duniya mein kisi koi tulna nahi

Apanatva said...

तू न होती तो फिर मेरी दुनिया कहाँ?
तेरे होने से मैंने ये देखा जहाँ।
कष्ट लाखों सहे तुमने मेरे लिए,
और सिखाया कला जी सकूँ मैं यहाँ।
प्यार की झिरकियाँ और कभी दिल्लगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।

sunder avum bhavpoorn rachana..........

Parul kanani said...

maa.........kuch kehte nahi banta..

KK Yadav said...

बेहद खूबसूरत भावाभिव्यक्ति...बेहतरीन रचना..बधाई.
______________
शब्द सृजन की ओर पर पढ़ें- "लौट रही है ईस्ट इण्डिया कंपनी".

श्यामल सुमन said...

आप सबके प्यार और समर्थन के प्रति विनम्र आभार।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

Asha Joglekar said...

मां ही घरों में ईश्वर स्वरूप है । सुंदर कविता ।

चन्द्र कुमार सोनी said...

bahut badhiyaa likhaa hain aapne.
agar aap sirf maa bhi likh dete to bhi kaam chal jaataa.
maa shabd hi apne aap main itnaa badaa hain.
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

Sadhana Vaid said...

बहुत ही मर्मस्पर्शी और भावपूर्ण रचना ! आभार !

गुड्डोदादी said...

गोद तेरी मिले है ये चाहत मेरी।
दूर तुमसे हूँ शायद ये किस्मत मेरी।

बहुत ही भावुकता से भरपूर भावोभरी भावुकतापूर्ण
कविता किसे आन्स्सो नहीं आयेंगे पढ़ कर



1माँ की दुआ कभी खाली नहीं जाती,

उसकी बद्‌दुआ कभी टाली नहीं जाती,

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