Saturday, February 27, 2010

फगुनाहट

देखो फिर से वसंती हवा आ गयी।
तान कोयल की कानों में यूँ छा गयी।
कामिनी मिल खोजेंगे रंगीनियाँ।।

इस कदर डूबी क्यों बाहरी रंग में।
रंग फागुन का गहरा पिया संग मे।
हो छटा फागुनी और घटा जुल्फ की,
है मिलन की तड़प मेरे अंग अंग में।
दामिनी कुछ कर देंगे नादानियाँ।।
कामिनी मिल खोजेंगे रंगीनियाँ।।

बन गया हूँ मैं चातक तेरी चाह में।
चुन लूँ काँटे पड़े जो तेरी राह में।
दूर हो तन भले मन तेरे पास है,
मन है व्याकुल मेरा तेरी परवाह में।
भामिनी हम न देंगे कुर्बानियाँ।।
कामिनी मिल खोजेंगे रंगीनियाँ।।

मैं भ्रमर बन सुमन पे मचलता रहा।
तेरी बाँहों में गिर गिर संभलता रहा।
बिना प्रीतम के फागुन का क्या मोल है,
मेरा मन भी प्रतिपल बदलता रहा।
मानिनी हम फिर लिखेंगे कहानियाँ।
कामिनी मिल खोजेंगे रंगीनियाँ।।

25 comments:

रानीविशाल said...

Behad Sundar
Aapko sapriwaar holi ki hardik shubhkaamnae!!

अमिताभ मीत said...

बहुत सुन्दर श्यामल जी. आज के दिन की शुरुआत इस सुन्दर गीत से हुई.

आप को और आप के परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं !!

डॉ टी एस दराल said...

प्रीतम और फागुन -एक दूसरे के पूरक ।

आपको और आपके समस्त परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें।

M VERMA said...

मैं भ्रमर बन सुमन पे मचलता रहा।
तेरी बाँहों में गिर गिर संभलता रहा।
बिना प्रीतम के फागुन का क्या मोल है,
मेरा मन भी प्रतिपल बदलता रहा।
बेहतरीन, सुन्दर, भावपूर्ण
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ

दीपक 'मशाल' said...

इस बार रंग लगाना तो.. ऐसा रंग लगाना.. के ताउम्र ना छूटे..
ना हिन्दू पहिचाना जाये ना मुसलमाँ.. ऐसा रंग लगाना..
लहू का रंग तो अन्दर ही रह जाता है.. जब तक पहचाना जाये सड़कों पे बह जाता है..
कोई बाहर का पक्का रंग लगाना..
के बस इंसां पहचाना जाये.. ना हिन्दू पहचाना जाये..
ना मुसलमाँ पहचाना जाये.. बस इंसां पहचाना जाये..
इस बार.. ऐसा रंग लगाना...
(और आज पहली बार ब्लॉग पर बुला रहा हूँ.. शायद आपकी भी टांग खींची हो मैंने होली में..)

होली की उतनी शुभ कामनाएं जितनी मैंने और आपने मिलके भी ना बांटी हों...

बाल भवन जबलपुर said...

आप को और आप के परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं

निर्मला कपिला said...

होली के रंगों की तरह सुन्दर रचना। आप को और आप के परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं

Vivek Ranjan Shrivastava said...

जल के राख हो , नफरत की होलिका
आल्हाद का प्रहलाद बचे , इस बार होली में !

Chandan Kumar Jha said...

बहुत सुन्दर होली गीत । आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें ।

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान said...

fagunahat ,achchi geetika ke liye bahut badhai,
holi ki shubhkamnayen

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान said...

bahut sundar geet hai.
holi ki shubhkamnayen

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर रचना जी.

आप और आप के परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं !!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

होली की रंगभरी शुभकामनाएँ स्वीकार करें!

नीरज गोस्वामी said...

इस बेजोड़ रचना के लिए श्यामल जी आपको बधाई और होली की ढेरों शुभ कामनाएं...
नीरज

Urmi said...

आपको और आपके परिवार को होली पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

वन्दना अवस्थी दुबे said...

होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

बहुत सुंदर अनुभूतियां.

समयचक्र said...

रंगोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाये ...

vandana gupta said...

bahut sundar .......happy holi.

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर गीत. होली की घणी रामराम.

रामराम.

Satish Saxena said...

रंगारंग उत्सव पर आपको हार्दिक शुभकामनायें !

गुड्डोदादी said...

सामल
चिरंजीव
गीत तो चोखा यूं तो बढी बात से
बहू ने,पोते,पोतियों ने होली की सीसाँ दीजो
थाहरी
दादी का आसिरवाद अमरीका से

Asha Joglekar said...

मैं भ्रमर बन सुमन पे मचलता रहा।
तेरी बाँहों में गिर गिर संभलता रहा।
बिना प्रीतम के फागुन का क्या मोल है,
मेरा मन भी प्रतिपल बदलता रहा।
मानिनी हम फिर लिखेंगे कहानियाँ।
कामिनी मिल खोजेंगे रंगीनियाँ।।
बहुत सुंदर प्रेम गीत ।

श्यामल सुमन said...

आप सब के असीम प्यार के प्रति विनम्र आभार प्रेषित है।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

जयकृष्ण राय तुषार said...

अति सुन्दर रचना है भूली बिसरी यादे ताजा हो गयी.....

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