Sunday, October 31, 2010

दूजा नया सफर है

निकला हूँ मैं अकेला अनजान सी डगर है
कोई साथ आये, छूटे मंजिल पे बस नजर है

महफिल में मुस्कुराना मुश्किल नहीं है यारो
जो घर पे मुस्कुराये समझो उसे जिगर है

पी करके लड़खड़ाना और गिर के सम्भल जाना
इक मौत जिन्दगी की दूजा नया सफर है

जब सोचने की ताकत और हाथ भी सलामत
फिर क्यों बने हो बेबस किस बात की कसर है

हम जानवर से आदम कैसे बने ये सोचो
फिर क्यों चले उधर हम पशुता सुमन जहर है

16 comments:

Satish Saxena said...

बहुत खूब !
हार्दिक शुभकामनायें !

गुड्डोदादी said...

श्यामल जी
चिरंजीव भव:

निकला हूँ मैं अकेला अनजान सी डगर है
कोई साथ आये, छूटे मंजिल पे बस नजर है

आपकी कविता कुबेर धन से भर पूर

घर से चले थे खुशी की तलाश में
गम राह में खड़े थे वही साथ हो लिए

Vandana Singh said...

bahut suder ghazal !

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत खूब, नज़र मंजिल पर ही है।

संजय भास्‍कर said...

ह सर...
वाकई बहुत अच्छा लगा

अच्छी रचना

kshama said...

जब सोचने की ताकत और हाथ भी सलामत
फिर क्यों बने हो बेबस किस बात की कसर है

हम जानवर से आदम कैसे बने ये सोचो
फिर क्यों चले उधर हम पशुता सुमन जहर है
Waise to pooree rachana kamaal kee hai!

अनुपमा पाठक said...

पी करके लड़खड़ाना और गिर के सम्भल जाना
इक मौत जिन्दगी की दूजा नया सफर है
sundar satya...
sundar rachna!

शैईला said...

महफिल में मुस्कुराना मुश्किल नहीं है यारो
जो घर पे मुस्कुराये समझो उसे जिगर है

दर्द लिख लेते हैं आप

घर में मुस्कराहट ही न थी जिगर कहाँ से लाते दिल का दिया हो रोशन भले सारे चिराग बुझ जाते
गीत गाते जायेंगे आंसूं बहते जायेगे
लोह्स्थंभ तेरी ही शिक्षा पर चलेंगे

Enterprise Mobility Management said...

Nice..... beautifully

रंजना said...

महफिल में मुस्कुराना मुश्किल नहीं है यारो
जो घर पे मुस्कुराये समझो उसे जिगर है !!!



ओह भैया.... क्या कहूँ इस अद्भुद रचना पर ???

माता सरस्वती सदा आपपर अपना वरदहस्त धरे रहें...

Udan Tashtari said...

बहुत ही बेहतरीन रचा है, वाह!

Kailash Sharma said...

महफिल में मुस्कुराना मुश्किल नहीं है यारो
जो घर पे मुस्कुराये समझो उसे जिगर है...

बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण गज़ल..

BrijmohanShrivastava said...

आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ

Dorothy said...

इस ज्योति पर्व का उजास
जगमगाता रहे आप में जीवन भर
दीपमालिका की अनगिन पांती
आलोकित करे पथ आपका पल पल
मंगलमय कल्याणकारी हो आगामी वर्ष
सुख समृद्धि शांति उल्लास की
आशीष वृष्टि करे आप पर, आपके प्रियजनों पर

आपको सपरिवार दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.

Anonymous said...

पी करके लड़खड़ाना और गिर के सम्भल जाना
इक मौत जिन्दगी की दूजा नया सफर है

मंजिल उसे ही ही मिलती है
आपकी दर्द भरी गजल को पूजा घर में सजा के रक्खेंगे

Blogs In Media said...

यह आपके लिए
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