Monday, May 23, 2011

जीवन इक विश्वास है

जीवन इक विश्वास है
खुला हुआ आकाश है

वक्त आजतक उसने जीता
जिसने किया प्रयास है

कैसे कैसे लोग जगत में
अलग सभी की प्यास है

कुछ ही घर में रौनक यारों
चहुँ ओर संत्रास है

जहाँ पे देते शिक्षा दिन में
रात पशु-आवास है

राजनीति और अपराधी का
क्या सुन्दर सहवास है

सहनशीलता अपनी ऐसी
नेताओं से आस है

लेकिन ये ना बदलेंगे अब
दशकों का अभ्यास है

यही समय है परिवर्तन का
सुमन हृदय आभास है

11 comments:

Anonymous said...

bilkul thik kaha aapne

प्रवीण पाण्डेय said...

लोग कैसे हार माते हैं,
चल रही साँस है।

Dr (Miss) Sharad Singh said...

जहाँ पे देते शिक्षा दिन में
रात पशु आवास है
राजनीति और अपराधी का
क्या सुन्दर सहवास है


वाह..क्या खूब ...कटाक्ष किया है...
हर शेर यथार्थ के भावों से तराशे हैं आपने !
हार्दिक बधाई...

स्वाति said...

जीवन इक विश्वास है
खुला हुआ आकाश है

वक्त आजतक उसने जीता
जिसने किया प्रयास है
bahut khoob...

संजय भास्‍कर said...

यथार्थमय सुन्दर पोस्ट

रंजना said...

जहाँ पे देते शिक्षा दिन में
रात पशु आवास है

कैसी महत बात पकड़ी आपने...

हमेशा की तरह धीर गंभीर बहुत ही सुन्दर रचना...

SAJAN.AAWARA said...

BILKUL THIK LIKHA APNE. . . BAHUT KHUB.
JAI HIND JAI BHARAT

Asha Lata Saxena said...

बहुत अदभुद भाव लिए रचना |
आशा

Anupama Tripathi said...

sarthak ...sateek aur bahut sunder prayas hai ...
badhai .

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

जीवन इक विश्वास है
खुला हुआ आकाश है

बहुत सार्थक रचना सर...
सादर...

Anju (Anu) Chaudhary said...

is vishwas ki dor kabhi dhili naa pade..........umdaa lekhni...aabhar

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