Thursday, July 7, 2011

नून-तेल का भाव समझ ले

जीवन  का  सद्भाव  समझ ले
नून- तेल  का  भाव  समझ ले

सीख  तुरत  पतवार  चलाना
बस जीवन को नाव समझ ले

कम दिन होते सुख-सुविधा के 
दुख का नेक प्रभाव समझ ले

अगर  सलामत  तभी  मुहब्बत
नफरत-भाव, अभाव समझ ले

दोस्त  चले  जब साथ दूर तक 
इक - दूजे  की  चाव समझ ले

नदियाँ  भाग  रहीं  सागर तक
सच्चा - प्रेम  लगाव  समझ ले

कुछ - कुछ  पाने सुमन भागते
कभी - कभी ठहराव समझ ले

8 comments:

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

हर पंक्ति बेमिसाल.छोटी-छोटी बंदिशों में बड़े-ब्ड़े फलसफे.याने कि गागर में सागर.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सुख के दिन कितने कम होते
दुख का सदा प्रभाव समझ लो

रहे सलामत सदा मुहब्बत
नफरत भाव अभाव समझ लो

अच्छी सीख देती सुन्दर गज़ल

Rachana said...

सीख तुरत पतवार चलाना
जीवन है इक नाव समझ लो
sunder bhav ka lajavab sher
puri gazal hi sunder hai
rachana

प्रवीण पाण्डेय said...

बस...., यही तो समझना है।

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

समझ गये जी।

जगल भी अच्‍छी है।

------
जादुई चिकित्‍सा !
ब्‍लॉग समीक्षा की 23वीं कड़ी...।

सु-मन (Suman Kapoor) said...

bahur khoob halki fulki magar bahut kuchh kahti hai rachna aapki...

Kusum Thakur said...

"सुख के दिन कितने कम होते
दुख का सदा प्रभाव समझ लो"

वाह सुमन जी, बात तो आपने सही कही है ......पर


"सुख के दिन न रहे सदा तो
दुःख के दिन भी कट जायेंगे"

suman.renu said...

सत्य और यथार्थ ही तो है नून तेल का भाव , इसी में जीवन बीतता है ...सुंदर कविता श्यामल जी

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!