जीवन का सद्भाव समझ ले
नून- तेल का भाव समझ ले
सीख तुरत पतवार चलाना
बस जीवन को नाव समझ ले
कम दिन होते सुख-सुविधा के
दुख का नेक प्रभाव समझ ले
अगर सलामत तभी मुहब्बत
नफरत-भाव, अभाव समझ ले
दोस्त चले जब साथ दूर तक
इक - दूजे की चाव समझ ले
नदियाँ भाग रहीं सागर तक
सच्चा - प्रेम लगाव समझ ले
कुछ - कुछ पाने सुमन भागते
कभी - कभी ठहराव समझ ले
8 comments:
हर पंक्ति बेमिसाल.छोटी-छोटी बंदिशों में बड़े-ब्ड़े फलसफे.याने कि गागर में सागर.
सुख के दिन कितने कम होते
दुख का सदा प्रभाव समझ लो
रहे सलामत सदा मुहब्बत
नफरत भाव अभाव समझ लो
अच्छी सीख देती सुन्दर गज़ल
सीख तुरत पतवार चलाना
जीवन है इक नाव समझ लो
sunder bhav ka lajavab sher
puri gazal hi sunder hai
rachana
बस...., यही तो समझना है।
समझ गये जी।
जगल भी अच्छी है।
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जादुई चिकित्सा !
ब्लॉग समीक्षा की 23वीं कड़ी...।
bahur khoob halki fulki magar bahut kuchh kahti hai rachna aapki...
"सुख के दिन कितने कम होते
दुख का सदा प्रभाव समझ लो"
वाह सुमन जी, बात तो आपने सही कही है ......पर
"सुख के दिन न रहे सदा तो
दुःख के दिन भी कट जायेंगे"
सत्य और यथार्थ ही तो है नून तेल का भाव , इसी में जीवन बीतता है ...सुंदर कविता श्यामल जी
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